चाइनीज मांझे की आफत बरकरार: पतंग की उड़ान, जा रही है पक्षियों की जान - Punjab Kesari
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चाइनीज मांझे की आफत बरकरार: पतंग की उड़ान, जा रही है पक्षियों की जान

देहरादून/डोईवाला, संजय/प्रियांशु (पंजाब केसरी): पतंग उड़ाने में हर उम्र के लोगों को आंनद आता है। बच्चों, युवाओं और

देहरादून/डोईवाला, संजय/प्रियांशु (पंजाब केसरी): पतंग उड़ाने में हर उम्र के लोगों को आंनद आता है। बच्चों, युवाओं और बुजुर्गो में पतंग उड़ाने का खासा शौक व जुनून होते हैं, परंतु इस बात से अंजान की उनका शौक किसी निर्दोष की जान ले रहा है। वह पतंग बाजी करने में मशरूफ रहते हैं।
देश में हर वर्ष मकर संक्रांति, बसंत पंचमी व पतंग महोत्सव का पर्व हर्षोल्लास से मनाया जाता है, जिसका इंतजार पंतंगबाज बेसब्री से करते हैं। किंतु पेड़ों पर अटके पतंग के मांझे में फंसकर परिंदों की जान जा रही है। प्रत्येक साल नव वर्ष के आरंभ से आसमान में पतंग बदलो के स्थान पर आकाश को ढके रखती हैं। 
यह सिलसिला पोष और माघ के माह तक चलते हैं। इसके अलावा भी वर्षभर में खास मौकों पर पतंग उड़ाई जाती है। जिसके लिए खतरनाक मांझो का प्रयोग किया जाता है। जो की चाकू से भी धारदार होते हैं। पतंगों का मांझा पेड़ों पर एक जाल की तरह उलझ जाता है। इन मांझों में आए दिन पक्षी फंसते हैं और तड़पकर फड़फड़ाते रहते हैं और ऐसे ही उनकी जान निकल जाती है। 
पहले ही खेतों मे केमिकल छिड़काव और मोबाइल टावर से निकलने वाली रेज के कारण इनकी संख्या में कमी हो रही है। पतंग उड़ाने के लिए प्रयोग में लाने वाले मांझे को पक्का करने के लिए कांच और ज्यादातर अंडे का प्रयोग किया जाता है और अगर पतंग के मांझे से हमारे शरीर पर कहीं भी कट जाए तो उसमें कांच के बारीक टुकड़े होने से हमारे शरीर में इंफेक्शन हो सकता है, जो जानलेवा भी हो सकता है।
चाइनीज या पक्का मांझा की चपेट में आने से घायल मनुष्य तो अपना उपचार अस्पताल में करा लेता है परंतु बेजुबान पक्षी तरफ तरफ कदम तोड़ देते हैं। इस प्रकार के घातक मांझों से कबूतर, गौरैय, तोते, कौआ, आदि प्रकार की चिड़ियाएं व पक्षी मौत की नींद सो रहे हैं।
यदि इन सब पर रोक नही लगाई गई तो जल्द ही पक्षी विलुप्त हो जाएंगे और उनकी आकस्मिक मौत से खाद्य श्रृंखला पर भी असर देखने को मिलेगा।यही नहीं, पतंग उड़ाने के कारण हर वर्ष कई बच्चों की मौत छत से गिरने के कारण हो जाती है।
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आमजन पर भी हो रहा प्रहार!
पतंगबाज अपने प्रतिद्वंदी से स्पर्धा करने के लिए खतरनाक से खतरनाक मांझे का प्रयोग करते हैं। जिससे हर वर्ष बड़ी संख्या में पक्षियों की मौत, घायल, बच्चों के साथ दुर्घटना, उनके चोटिल होने की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। पतंग के मोह में चूर बच्चे बिना सावधानी बरतें और ध्यान दिए सड़कों पर कटी पतंग लेने को दौड़ने लगते हैं और हादसों का शिकार बन जाते है। आमजन को भी अपना शिकार बनाने से नहीं चूक रहा, यह जानलेवा मांझा। राहगीरों, वाहन चालकों को भी अपने चपेट में ले रहा और दुर्घटना ग्रस्त व क्षति पहुंचा रहा। इन तेज मांझो की डोर से राह चलते लोगों के हाथ, पैर, गला, गर्दन को भी निशाना बना रहा और क्षति पहुंचा रहा। 
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“चाइनीज मांझे के नुकसान : 
चाइनीज मांझे का इस्तेमाल करते समय इसके धागे के स्पर्श में अगर कोई पंछी या अन्य कोई वस्तु आ जाए तो यह उसे काटकर घायल कर देता है, कभी-कभी तो यह जानलेवा भी साबित हो जाता है। चाइनीज मांझे का इस्तेमाल करने से कई तरह से नुकसान होता है। इसका इस्तेमाल करते समय जरा सा टकराव होने पेर यह उंगली, हथेली समेत किसी भी हिस्से को काटकर 

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पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।