कांग्रेस में लगातार कलह की खबरें सामने आती रहती है। लेकिन आज फिर से एक कद्दावर नेता ने नाराजगी के कारण राज्य के मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया हैं। हालांकि खबरों के इस्तीफा देने वाले टीएस देव सिंह ने कहा बगैर विश्वास में लिए उनके विभाग से संबंधित फैसले लिए जा रहे थे, जिससे नाराज होकर टीएस सिंहदेव ने इस्तीफा दिया है।
सूत्रों के मुताबिक पता चला हैं कि टीएस सिंह देव ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा दे दिया हैं, लेकिन वह अन्य विभागों के पद बनें रहेंग। इस्तीफा की वजह आपसी कलह भी बतायी जा रही है। जो अभी तक कई मौके पर खुलकर सामने आती रही हैं, कुछ समय पहले भी छत्तीसगढ़ में सरकार के नेतृत्व को लेकर टीएस देव सिंह ने सवाल उठाया था। जिसको लेकर कांग्रेस हाईकमान ने स्थिति को संभाल लिया था। बीते दिनों से बड़ी संख्या में सहायक परियोजना अधिकारियों (APO) पर कार्रवाई की गई थी, जिसके बाद से पंचायत मंत्री सिंहदेव नाराज थे।
हड़ताल कर्मियों पर दबाव बनाने के लिए किए जा रहे थे ट्रांसफर
सूत्र बताते हैं कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना के 10 हजार मनरेगा कर्मी राजधानी में अपनी 2 सूत्रीय मांगों को लेकर 60 से ज्यादा दिनों तक हड़ताल पर थे। राज्य सरकार ने दबाव बनाने सहायक परियोजना अधिकारियों पर कार्रवाई कर दी थी। 21 सहायक परियोजना अधिकारियों को निलंबित करने से पहले मंत्री सिंहदेव से पूछा तक नहीं गया था। अभी कुछ दिन पहले सभी अधिकारियों को बहाल कर दिया। उसमें भी उनसे नहीं पूछा गया।
ढाई -ढाई साल के लिए सीट शेयरिंग फोर्मूले पर बनी थी सहमति – सूत्र
दिसंबर 2018 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद जब बघेल और उनके दो वरिष्ठ कैबिनेट सहयोगी टीएस सिंह देव और ताम्रध्वज साहू कांग्रेस के प्रमुख दावेदार थे। तब सीएम पोस्ट-शेयरिंग फॉर्मूला छत्तीसगढ़ के राजनीतिक दायरे में चर्चा का विषय रहा है। तभी से कयास लगाए जा रहे थे कि बघेल और टीएस सिंह देव के बीच ढाई साल के सत्ता बंटवारे के फार्मूले के आधार पर शीर्ष पद के लिए आम सहमति बनी है।