छत्तीसगढ़: 77 सालों बाद नक्सल प्रभावित इस गांव में लोगों को नसीब हुई बिजली, लोगों में खुशी की लहर - Punjab Kesari
Girl in a jacket

छत्तीसगढ़: 77 सालों बाद नक्सल प्रभावित इस गांव में लोगों को नसीब हुई बिजली, लोगों में खुशी की लहर

भारत की आजादी के 76 साल बाद छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के एल्मागुंडा गांव के घरों में बिजली

भारत की आजादी के 76 साल बाद छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के एल्मागुंडा गांव के घरों में बिजली पहुंची है। एल्मागुंडा गांव के लोगों ने पहली बार बल्ब की रोशनी में आजादी को अपनी आंखों से देखा है।  छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के समन्वय से काम करने वाली जिला पुलिस के प्रयासों से 14 अगस्त को यह कार्य हासिल किया गया। 14 अगस्त तक एल्मागुंडा में बिजली नहीं पहुंची थी और लोगों को जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
CRPF के कर्मियों ने भी कार्य में दिया योगदान 
पुलिस अधिकारी ने कहा कि ग्रामीणों को नक्सलियों की गतिविधियों से अवगत कराने और उन्हें अपने गांव के विकास पर जोर देने के लिए मनाने के लिए उनके साथ बैठकें की गईं। ग्रामीणों से भी आग्रह किया गया कि वे नक्सलियों से दूरी बनाये रखें।  केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के कर्मियों ने भी इस कार्य में योगदान दिया।
जिला प्रशासन, पुलिस और अन्य एजेंसियों के प्रयासों से ग्रामीणों के चेहरों पर मुस्कान आ गई है और वे अब अपने जीवन में बदलाव देख रहे हैं। करीब छह महीने पहले एल्मागुंडा में सुरक्षा बलों का एक शिविर स्थापित किया गया था और इससे विकास कार्यों को गति मिली है।
बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने कहा कि, इन दूरस्थ गांवों में सुरक्षा शिविर एकीकृत विकास केंद्र के रूप में भी काम कर रहे हैं। स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सुकमा जिले के एल्मागुंडा गांव में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम हुआ। पिछले साल नक्सली गतिविधि से मुक्त हुए गांव के परिवारों को बिजली कनेक्शन मिल गया है।
 देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने में मदद मिलेगी
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि, बस्तर रेंज में सुरक्षा शिविर न केवल परिचालन कार्य करते हैं बल्कि स्थानीय प्रशासन के समन्वय से सड़क निर्माण, विद्युतीकरण और पीडीएस दुकानें, स्कूल, आंगनवाड़ी और स्वास्थ्य केंद्र खोलने जैसे विकास कार्यों को भी सुविधाजनक बनाते हैं।
अधिकारी ने कहा कि, एलमगुडना पिछले चार वर्षों में कई उदाहरणों में से एक है जहां सुरक्षा शिविरों ने स्थानीय आबादी के जीवन में गेम चेंजर की भूमिका निभाई है। सुकमा के पुलिस अधीक्षक (SP) किरण चव्हाण ने कहा कि अशांत गांवों में ग्रामीणों का विश्वास बढ़ाने और नक्सलवाद को खत्म करने के लिए सुरक्षा शिविर स्थापित किए गए हैं। अधिकारी ने कहा कि एलमगुडना घरों में बिजली से विकास को जबरदस्त बढ़ावा मिलेगा, बच्चों की बेहतर शिक्षा हो सकेगी और स्थानीय आबादी को राज्य और देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने में मदद मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

seventeen − four =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।