मुहर्रम के जुलूस में ड्रम बजने से होने वाले शोर कोर लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसा करना गलत है क्योंकि इससे लोगों की शांति भंग होती है और कोई धर्म इसकी इजाजत नहीं देता। कोर्ट ने कहा, ‘कोई भी धर्म यह निर्धारित नहीं करता है कि दूसरों की शांति को भंग करके प्रार्थना की जानी चाहिए। इसलिए मुहर्रम में ढोल लगातार बजाना नहीं चल सकता है। पुलिस को ढोल बजाने के लिए समय को विनियमित करते हुए एक सार्वजनिक नोटिस जारी करना चाहिए।’
कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने ये कहा
अगस्त को मुहर्रम है। इससे पहले कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने गुरुवार को एक जनहिता याचिका की सुनवाई करते हुए बड़ी टिप्पणी की है।चीफ जस्टिस टीएस की खंडपीठ जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अनुमेय स्तरों के संबंध में शोर के स्तर को विनियमित करने के लिए सार्वजनिक नोटिस जारी करने का भी निर्देश दिया।
शाम सात बजे के बाद ढोल नहीं बजना चाहिए- कोर्ट
हाईकोर्ट ने सुझाव दिया कि सुबह दो घंटे और शाम को दो घंटे ढोल बजाने की अनुमति दी जानी चाहिए। सुबह स्कूल जाने वाले बच्चे होंगे। परीक्षाएं होंगी। बूढ़े और बीमार लोग भी होंगे। आम तौर पर सुबह दो घंटे और शाम को दो घंटे की अनुमति देते हैं। शाम सात बजे के बाद ढोल नहीं बजना चाहिए।
संगठित समूहों को ढोल बजाने के लिए अनुमति लेनी होगी
कोर्ट ने निर्देश दिया कि संगठित समूहों को ढोल बजाने के लिए अनुमति लेनी होगी। उनका स्थान भी तय होगा। इसके अलावा समय सीमा तय की जाएगी। यदि कोई प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे दंडित भी किया जाएगा।याचिकाकर्ता कोर्ट में दलील दी थी कि उनके इलाके में मुहर्रम त्योहार के बहाने गुंडे देर रात तक ढोल बजाते रहते हैं। पुलिस से मदद मांगी गई तो उन्होंने अदालत का आदेश लाने की बात कहकर वापस कर दिया।