रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी को राहत देते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को उनके खिलाफ दर्ज दो FIR पर स्टे लगा दिया है। पालघर लिंचिंग और लॉकडाउन के बीच बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर प्रवासी श्रमिकों की भीड़ जमा होने के संबंध में कथित उकसावे और भड़काऊ टिप्पणियों के लिए अर्णब के खिलाफ यह FIR दर्ज कराई गईं थी।
न्यायमूर्ति उज्जल भूयां और न्यायमूर्ति रियाज चागला की एक खंड पीठ ने अपने आदेश में कहा कि प्राथमिक तौर पर गोस्वामी के खिलाफ कोई अपराध नही बनता है और उनका इरादा समाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने या हिंसा भड़काने का नहीं था। गोस्वामी की ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि अंतिम सुनवाई होने और याचिका के निपटारे तक बलपूर्वक कोई कार्रवाई न करे।
अर्णब गोस्वामी पर आईपीसी की धारा 153, 153 ए, 153 बी, 295 ए, 298, 500, 504, 505 (2), 506, 120 बी और 117 के तहत मामला दर्ज किया गया। साल्वे ने धारा 153 बी के माध्यम से प्रतिवाद किया और प्रस्तुत किया कि उपरोक्त धारा के तहत कोई अपराध नहीं किया गया है।
दरअसल, पालघर में दो साधुओं की लिंचिंग पर आधारित टीवी शो में सोनिया गांधी के खिलाफ कथित तौर पर अपमानजनक टिप्पणी करने और साम्प्रदायिकता फैलाने के आरोप को लेकर देशभर के कांग्रेस शासित राज्यों में एक दर्जन से अधिक एफआईआर दर्ज कराई गई थी। एफआईआर दायर होने के बाद रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी ने राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।