कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बोगतुई हिंसा मामले में मुख्य आरोपी ललन शेख की सीबीआई की हिरासत में मौत की जांच किसी मौजूदा न्यायाधीश से कराने का अनुरोध करने वाली याचिका बुधवार को खारिज कर दी।याचिकाकर्ता बदरुल करीम ने कहा कि 21 मार्च को बोगतुई हिंसा की जांच उच्च न्यायालय के आदेश पर अपराध जांच विभाग (सीआईडी) से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपी गयी थी और अब राज्य की यही एजेंसी केंद्रीय एजेंसी की हिरासत में 12 दिसंबर को ललन की अप्राकृतिक मौत की जांच कर रही है।
उनके वकील ने कहा कि इन तथ्यों को देखते हुए ललन की मौत की वजह का पता लगाने के लिए उच्च न्यायालय के किसी मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया जाए।मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति आर भारद्वाज की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि किसी मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच आयोग नियुक्त करने का कोई मामला नहीं बनता है।ललन का शव बोगतुई के समीप रामपुरहाट में सीबीआई के अस्थायी कार्यालय में एक शौचालय में फंदे से लटका पाया गया था।
सीबीआई ने 3 दिसंबर को किया था गिरफ्तार
पश्चिम बंगाल सरकार के वकील ने आयोग गठित करने की याचिका का विरोध करते हुए दावा किया कि सीआईडी अपना काम कर रही है और कानून एवं व्यवस्था राज्य का विषय है।अदालत ने राज्य सीआईडी को जांच जारी रखने की अनुमति देते हुए निर्देश दिया कि उसकी जांच खासतौर से बयानों को रिकॉर्ड करने तथा जब्ती की वीडियोग्राफी करायी जाए।ललन को सीबीआई ने तीन दिसंबर को गिरफ्तार किया था और वह बीरभूम जिले में एक स्थानीय अदालत के आदेश पर सीबीआई की हिरासत में था।गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के स्थानीय नेता भादू शेख की 21 मार्च को हत्या के बाद बोगतुई में हुई आगजनी और हिंसा में कम से कम 10 लोग मारे गए थे।