हरिद्वार, संजय चौहान (पंजाब केसरी)ः हरि की नगर हरिद्वार में पिछले 13 दिनों से जिस दिन का इंतजार लाखों, करोड़ों कांवड़िए कर रहे थे उस दिन के आते ही जो हुजूम हरिद्वार में उमड़ा वह देखने लायक था। वाकई शिव की महिमा अपरम्पार है। तभी तो कहा जाता है कि सावन के दिनों में भोले शंकर कण-कण में वास करते हैं। मंगलवार को सावन की शिवरात्रि के अवसर पर शिवालयों में शिवभक्तों का तांता लग गया। धर्मनगरी के सभी शिवालयों में शिवभक्तों की लम्बी-लम्बी कतार लगी देखने को मिली। शिवभक्तों ने शिव का दुग्धाभिषेक और जलाभिषेक कर आशीर्वाद लिया।
कनखल, ज्वालापुर, मध्य हरिद्वार, उत्तरी हरिद्वार स्थित शिव मंदिरों में श्रद्धालु सपरिवार पूजा अर्चना करते दिखे। वहीं कांवड़ यात्रा में हरिद्वार पहुंचे श्रद्धालुओं ने भी धर्मनगरी के शिवालयों में शिव मंदिर में गंगाजल चढ़ाकर सुख शांति की कामना की। शहर से लेकर गांव देहात तक शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। मंगलवार रात 12 बसे से ही शिवालयों में जलाभिषेक का सिलसिला शुरू हो गया था। प्रथम पहर होते-होते इसमें तेजी आ गई। जैसे-जैसे दिन चढ़ा, भीड़ बढ़ती ही गई शिवरात्रि का व्रत ले चुके श्रद्धालु शिवालयों में पहुंचे। जलाभिषेक को श्रद्धालुओं को कतारों में खड़े होकर लम्बा इंतजार करना पड़ा। कनखल स्थित दक्ष मंदिर, हरिहर आश्रम स्थित पारे के शिवलिंग, दरिद्र भंजन, दुख भंजन और तिलभांडेश्वर मंदिर में सुबह से ही जलाभिषेक करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी थी। दक्ष मंदिर, दरिद्र भंजन मंदिर में श्रद्धालुओं की लम्बी कतार लगी रही। जबकि दक्ष मंदिर काफी संख्या में कांवड़िए भी गंगाजल लेकर पहुंचे हुए थे। लम्बी कतार होने के बाद कांवड़ियों का जोश कम होने का नाम नहीं ले रहा था। जबकि बिल्वकेश्वर महादेव, निलेश्वर महादेव के अतिरिक्त मठ मंदिरों और आश्रमों में भी शिवभक्तों ने पूजा अर्चना की। हरिद्वार रेलवे रोड़ स्थित बाबा काली कमली के ज्योतिषाचार्य पंडित दिनेश चन्द्र डबराल ने बताया कि श्रावण मास की महाशिवरात्रि को शिव का जलाभिषेक शुद्ध जल से किया जाना अतिशुभकारी और लाभकारी है। उन्होंने बताया कि शिवमंदिर में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेकक करने से घर में सुख समृद्धि आती है।
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हरिद्वार में शिवरात्रि के दौरान शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हुए श्रद्घालुगण (दाएं) शिव मंदिर में नंदी की पूजा करती हुई छोटी बच्ची। (छायाः पंजाब केसरी)