महाराष्ट्र में भाजपा की जीत का रंग रहा फीका, लेकिन सत्त्ता कायम - Punjab Kesari
Girl in a jacket

महाराष्ट्र में भाजपा की जीत का रंग रहा फीका, लेकिन सत्त्ता कायम

पार्टी के एक जानकार ने कहा कि लोकसभा चुनावों और अब विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के

मुंबई : महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने एक बार फिर भाजपा को प्रदेश के विधानसभा चुनावों में जीत दिलाई है हालांकि पिछली बार के मुकाबले जीत का अंतर कम होने से पार्टी की जीत का रंग थोड़ा फीका रहा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से करीबी पारिवारिक संपर्क रखने वाले 49 वर्षीय भाजपा नेता के लिये यह रिकॉर्ड से भरा दिन था। करीब पांच साल पहले तक कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले राज्य में वह पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री होंगे जो राज्य में दूसरी बार सत्ता में वापसी कर रहे हैं। वह ऐसे सिर्फ दूसरे मुख्यमंत्री होंगे जो अपना कार्यकाल पूरा करेंगे। 
फड़णवीस को अपनी इस चुनावी जीत को गठबंधन सहयोगी शिवसेना के साथ साझा करना होगा। प्रदेश की 288 सदस्यीय विधानसभा के लिये भाजपा ने 164 सीटों पर चुनाव लड़ा था, और रुझानों में वह 100 के आंकड़े के आसपास है जबकि शिवसेना 57 सीटों पर आगे थी। दोनों दलों के बास सरकार बनाने के लिये जरूरी आंकड़ा तो है लेकिन उसे अपने गठबंधन सहयोगी शिवसेना के तीखे तेवरों के लिये भी तैयार रहना होगा जो अभी से ही यह कह रही है कि वह सत्ता की साझेदारी के पूर्व निर्धारित 50-50 के फॉर्मूले पर टिकी रहेगी। 
फड़णवीस नागपुर विश्वविद्यालय से विधि स्नातक हैं और उनके पास व्यापार प्रबंधन में स्नात्तकोत्तर की डिग्री भी है। वह नागपुर में पले-बढ़े हैं और यहीं संघ का मुख्यालय है। उनके पिता गंगाधर फड़णवीस संघ से जुड़े थे और इसलिये युवा देवेंद्र भी संघ की विचारधारा से प्रभावित थे। फड़णवीस ने अपना राजनीतिक सफर 1990 के दशक में शुरू किया। वह 1992 और 1997 में लगातार दो बार नागपुर नगर निगम के सदस्य के तौर पर चुने गए। वह नागपुर के सबसे युवा महापौर रहे और भारत में दूसरे सबसे युवा महापौर होने का गौरव भी उन्हें हासिल है। 
फड़णवीस 1999 से राज्य विधानसभा में नागपुर दक्षिण-पश्चिम सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। संभवत: यह संघ से उनकी नजदीकी का ही नतीजा है कि महाराष्ट्र में राजनीति के मुश्किल दौर से वह उबर पाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह द्वारा प्रदेश में भगवा दल का नेतृत्व करने के लिये खुली छूट दिये जाने से फड़णवीस का सफर काफी कुछ आसान रहा। 
पार्टी के एक जानकार ने कहा कि लोकसभा चुनावों और अब विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत के साथ फड़णवीस ने एक दक्ष राजनेता के तौर पर अपनी विश्वसनीयता साबित की और प्रदेश में शिखर पर रहते हुए उन्होंने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को काफी पीछे छोड़ दिया है। उन्होंने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल और हर्षवर्धन पाटिल तथा कई प्रमुख राकांपा नेताओं को भाजपा में शामिल कराया और पहले से ही पिछड़ते दिख रहे विरोधी खेमे में चुनाव से पहले ही हलचल मचा दी। 
नतीजों और रुझानों में राकांपा 53 और कांग्रेस 46 सीटों पर सीट की ओर अग्रसर है। राजनीतिक पर्यवेक्षक फड़णवीस को सामने वाले की बात को धैर्यपूर्वक सुनते हैं और विभिन्न विषयों पर व्यापक जानकारी रखने के साथ ही “कार्रवाई में विश्वास” रखते हैं। उन्हें ऐसे राजनेता के तौर पर देखा जाता है जो विद्वान भी है और लोकप्रिय भी। उन्होंने बीते पांच वर्ष के दौरान मराठा आंदोलन, जलयुक्त शिविर जल संरक्षण योजना, नागपुर-मुंबई नॉलेज कॉरीडोर, कृषि कर्ज माफी और मेट्रो रेल नेटवर्क के विस्तार जैसी योजनाओं को अंजाम तक पहुंचाया। 
मराठा आरक्षण आंदोलन की वजह से उनकी सरकार के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो गया था लेकिन फड़णवीस प्रदर्शनकारियों तक पहुंचे और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन की घोषणा की जो नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की उनकी मांग पर विचार कर कानून बनाने की दिशा में सुझाव देगा। इसी तरह कर्ज माफी की रकम बैंकों में भेजने के बजाए उन्होंने आश्वस्त किया कि रकम सीधे किसानों के खातों में भेजी जाएगी। फड़णवीस ने सीटों के बंटवारे पर शिवसेना को बातचीत के जरिये मनाया और अपनी गहन राजनीतिक प्रबंधन क्षमता का परिचय दिया। 
शिवसेना अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिये अक्सर सरकार पर निशाना साधती रही है और मुंबई में निकाय चुनावों के दौरान दोनों दलों के बीच गठबंधन टूटने के कगार पर पहुंच गया था जिसके बाद राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने भविष्यवाणी की थी कि सरकार गिर जाएगी। फड़णवीस ने पिछले हफ्ते एक बातचीत में कहा था, “राजनीतिक हकीकत से तय होता है कि क्या फैसले लिये जाने की जरूरत है। धैर्य ही अहम है।” उन्होंने कहा, “जब आप चुनौतियों का सामना करते हैं तो काफी कुछ सीखते हैं। मैंने राजनीतिक परिपक्वता सीखी है। आप अपने लिये जो भी एजेंडा तय करते हैं…हर सुबह एक नयी चुनौती और समस्या आपके सामने रख देती है। नयी चुनौतियों से निपटते हुए, मैंने सीखा कि मुझे अपना ध्यान उस पर से नहीं हटाना चाहिए जो मैंने करने के लिये सोचा है।” 
फड़णवीस ने दूसरे कार्यकाल के लिये लक्ष्य भी तय किया है और यह है प्रदेश को सूखा मुख्त बनाना, जिसके लिये कोंकण क्षेत्र से अतिरिक्त वर्षा जल को गोदावरी घाटी की तरफ मोड़ने की योजना है। उनके लक्ष्य में राज्य को ‘एक हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था’ बनाना भी है। बीते पांच सालों में फड़णवीस ने अपनी छवि बेदाग रखी और अपने कुछ मंत्रियों के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से भी सख्ती से निपटते दिखे। उनकी पत्नी अमृता एक बैंकर और पार्श्व गायिका हैं जबकि बेटी दिविजा विद्यालय में है। उनकी मां सरिता गृहिणी हैं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।