बिहार के दरभंगा से नई दिल्ली जाने वाली मिथिला पेंटिंग से से सजी बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस गुरुवार को रवाना हुई। ट्रेन की नौ बोगी को मिथिला पेंटिंग कर खूबसूरत ढंग से सजाया और संवारा गया है। किसी क्षेत्रीय कला को स्थान देने वाली इंडियन रेलवे की यह पहली ट्रेन बन गई। मधुबनी पेंटिंग से सजी इस ट्रेन का परिचालन होने से मिथिलावासी बहुत खुश हैं। बोगी पर मिथिला पेंटिंग पिछले एक महीने में 50 से अधिक महिला कलाकारों ने मिलकर बनाया है। हालांकि अभी पूरी ट्रेन पर यह पेंटिंग नहीं हुई है, लेकिन धीरे धीरे ट्रेन की सभी कोचों पर यह पेंटिंग किया जा रहा है।
मिथिला पेंटिंग से सुसज्जित बोगियों को देख समस्तीपुर रेल मंडल के डीआरएम रवींद्र जैन ने कहा कि मिथिला पेंटिंग विश्वविख्यात है। इसे रेलवे ने अपनाया है। बोगियों के बाहर से की गई मिथिला पेंटिंग का फीडबैक जानने के लिए डीआरएम यात्रियों के साथ ट्रेन में सवार हो गए। इससे यात्रियों में खुशी छा गई। यात्रियों ने भी डीआरएम के प्रति आभार जताया। कहा कि मिथिला की संस्कृति व कला को देश-दुनिया में प्रसारित करने के लिए जो पहल की गई है, उसके लिए रेलवे को मिथिला की ओर से धन्यवाद।
कासिंदसंविवि के सीसीडीसी श्रीपत त्रिपाठी ने मिथिला पेंटिंग को नई पहचान देने के लिए रेलवे की काफी प्रशंसा की। डीआरएम ने कहा कि मिथिला पेंटिंग की अपनी अलग पहचान है। यही वजह है कि देश-विदेश में इसकी ख्याति है। इससे प्रभावित होकर रेलवे ने स्टेशनों एवं ट्रेनों में मिथिला पेंटिंग उकेर कर सौंदर्यीकरण की दिशा में काम शुरू किया है। बिहार संपर्क क्रांति को मॉडल के रूप में लिया गया। फिलहाल नौ बोगियां मिथिला पेंटिंग से सजाई गईं हैं। इसमें एक से डेढ़ माह का समय लगा है। शेष बोगियों का कार्य जल्द पूरा करने के बाद पूरे कोच को मिथिला पेंटिंग से सुसज्जित कर चलाया जाएगा। यहां की कला को अब देश की राजधानी तक लोग जान पाएंगे।
इसका रिस्पांस देख आगे की योजना बनाई जाएगी। उनका इशारा स्पष्ट था कि दरभंगा से लंबी दूरी के लिए खुलने वाली अन्य ट्रेनों में भी मिथिला पेंटिंग उकेरी जाएगी। मौके पर आरपीएफ कमांडेंट अंशुमन राम त्रिपाठी, स्टेशन डायरेक्टर चंद्रशेखर प्रसाद सिंह, स्टेशन अधीक्षक अशोक सिंह, इंस्पेक्टर विनोद कुमार विश्वकर्मा, सीटीटीआई पवन सिंह आदि मौजूद रहे। डीआरएम ने दरभंगा जंक्शन पर जहां यात्रियों का फीड बैक लिया। वहीं, हाजीपुर में पूर्व मध्य रेल के महाप्रबंधक ललितचंद्र त्रिवेदी ने मिथिला पेंटिंग का जायजा लिया। यात्रियों से जानने की कोशिश रही कि रेलवे ने मिथिला की संस्कृति को जो सम्मान दिया है वह कितना कारगर है।
स्टेशन डायरेक्टर चंद्रशेखर प्रसाद सिंह ने बताया कि फिलहाल नौ बोगियों पर मिथिला पेंटिंग कर परिचालन शुरू किया गया है। इसको मधुबनी (बेनीपट्टी) की संस्था केएसबी इंस्टीट्यूट के कलाकारों के माध्यम से कराया गया है। 13 कलाकारों की टीम ने एक बोगी में औसतन चार दिनों में पेंटिंग की है। इधर उद्घाटन के पहले दिन इस ट्रेन में सफर करनेवाले लोग खुद को न सिर्फ खुशकिस्मत मान रहे है बल्कि रेलवे के इस प्रयास की भूरी भूरी प्रशंसा भी कर रहे है। वहीं मिथिला पेंटिंग से सजी ट्रेन के पहली बार पटरी पर आने से मिथिला पेंटिंग करने वाले महिला कलाकार काफी उत्साहित नज़र आए।