पश्चिम बंगाल के हालात दिन-प्रतिदिन बदतर होते जा रहे है। राजनीतिक लड़ाई अपनी सारी सीमा लांघ चुकी है। विरोधी नेताओं की हत्या करना प्रचलन बन गया है। बुधवार (21 मई 2023) को चुनावों को लेकर हुई झड़पों व हिंसा से संबंधित मृत्यु का एक और मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक एक युवा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) कार्यकर्ता की मृत्यु हो गई।
मृतक की पहचान 23 वर्षीय मंसूर आलम के रूप में हुई है। मंसूर को उत्तरी दिनाजपुर जिले के चोपड़ा में नामांकन चरण के दौरान हुई हिंसा में गोली लगी थी। उसे स्थानीय अस्पताल में एडमिट कराया गया था। मंगलवार देर रात उसने दम तोड़ दिया। इसके साथ ही 8 जून को पंचायत चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद से चुनाव संबंधी हिंसा के कारण मरने वालों की कुल संख्या 9 हो गई है।
बता दें कि चुनावी हिंसा में दक्षिण 24 परगना जिले के भांगर में सबसे अधिक 3 लोग मारे गए हैं। माकपा के वरिष्ठ नेता सुजन चक्रवर्ती ने अपने कार्यकर्ता की मौत पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने लोगों की मौत की सूचना के बाद भी राज्य सरकार या राज्य चुनाव आयोग केंद्रीय सुरक्षा बलों के साथ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अनिच्छुक है।
सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ ने मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट की एक खंडपीठ के पिछले आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें ग्रामीण निकाय चुनावों के लिए पूरे राज्य में केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती का निर्देश दिया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य चुनाव आयुक्त ने केंद्रीय सशस्त्र बलों की महज 22 कंपनियों के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से मांग की थी जिसे लेकर विवाद शुरू हो गया।
इसका मतलब है कि प्रत्येक जिले में एक कंपनी तैनात की जाएगी। विपक्षी पार्टियों ने राज्य चुनाव आयोग के इस कदम को आंखों में धूल झोंकने वाला और कोर्ट के आदेश का अपमान बताया है। पश्चिम बंगाल में मुख्य रूप से तृणमूल कांग्रेस (TMC), भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस-माकपा के बीच मुकाबला है। TMC बंगाल की सत्ता में काबिज है। विपक्षी दलों का आरोप है कि बंगाल पुलिस TMC से सामने नतमस्तक है।