कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त स्कूलों में गैर कानूनी तरीके से नौकरी पाए 59 प्राथमिक शिक्षकों की बर्खास्तगी को बृहस्पतिवार को बरकरार रखा। इसी के साथ सेवा से बाहर किए जाने वाले ऐसे लोगों की संख्या बढ़कर 252 हो गई है। न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने पिछले आदेश में कुल 269 शिक्षकों को सेवा से बाहर करने का आदेश दिया था और ये 59 शिक्षक उन्हीं में शामिल हैं। नौकरी गंवाने वाले कुछ लोगों की अर्जी पर उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया था कि इन 269 लोगों को उच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए।
हलफनामे के जरिये दाखिल जवाब से असंतुष्ट न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने 59 लोगों की बर्खास्तगी को बरकरार रखा जो प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक के तौर पर कार्यरत थे। उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर उच्च न्यायालय पहले ही कुल 269 लोगों में से 192 के जवाब व हलफनामा का अवलोकन कर उन्हें प्राथमिक शिक्षक पद से बर्खास्त करने के फैसले को बरकरार रखा चुका है। अदालत ने 23 दिसंबर के आदेश में 53 की बर्खास्तगी की पुष्टि की और चार जनवरी के फैसले में 140 अन्य की बर्खास्तगी को बरकरार रखा।
उल्लेखनीय है कि उम्मीदवारों ने याचिका दायर कर दावा किया था कि वर्ष 2014 में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) उत्तीर्ण करने के बावजूद उन्हें नौकरी नहीं दी गई और उन्होंने पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड में शिक्षकों की भर्ती पर घोर अनियमितता का आरोप लगाया। न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने इसपर संज्ञान लेते हुए मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का आदेश दिया। उन्होंने टीईटी के अंकों में फेरबदल कर प्राथमिक शिक्षक पद पर नियुक्ति पाने वाले 269 शिक्षकों की सेवा भी समाप्त करने का आदेश दिया था।