विधानसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में भड़की हिंसा के मामले में सीबीआई ने अभी तक 51 एफआईआर दर्ज की हैं। जांच के चार महीनों के भीतर 20 मामलों के आरोप पत्र में 100 लोगों को नामजद किया है। सीबीआई ने मंगलवार को एक बयान में यह जानकारी दी हैं। चुनाव के बाद बंगाल में भारी मात्रा में बीजेपी कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा की गयी थी। जिसकी जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया था।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल में दुष्कर्म, दुष्कर्म की कोशिश और हत्या के मामलों की जांच करने का सीबीआई से हिंसा की जांच कराने का आदेश दिया था। सीबीआई के प्रवक्ता आरसी जोशी ने कहा, ‘‘सीबीआई ने केवल इन मानदंडों को पूरा करते हुए मामले 51 दर्ज किए। 100 से अधिक लोगों को आरोपपत्र में नामजद किया गया है। एजेंसी ने कहा, सीबीआई को अभी तक एनएचआरसी से यौन अपराधों की 29 शिकायतें मिली थी, इनमें से सात नियमित मामले दर्ज किए गए और बाकी की कानूनी प्रक्रिया चल रही है।एजेंसी ने बताया कि एनएचआरसी द्वारा भेजे गए दो मामलों को एजेंसी ने राज्य के विशेष जांच दल को भेज दिया है। कलकत्ता हाईकोर्ट ने इस जांच दल का गठन किया है।
जोशी ने कहा, ‘‘यह बताया जाता है कि कलकत्ता हाईकोर्ट ने 19 अगस्त 2021 को सीबीआई को हत्या, दुष्कर्म और दुष्कर्म की कोशिश के अपराधों की जांच करने का आदेश दिया था। सीबीआई ने केवल इन मापदंडों का पालन करते हुए मामले दर्ज किए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि सीबीआई को 22 दिसंबर 2021 तक एनएचआरसी से यौन शोषण की 29 शिकायतें मिली। इनमें से सीबीआई ने अपराध की प्रकृति के आधार पर दो मामले राज्य एसआईटी को सौंप दिए।’’
उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश पर राज्य पुलिस ने भी सीबीआई को 64 घटनाओं की रिपोर्ट भेजी है। जोशी ने कहा, ‘‘इनमें से सीबीआई ने नियमित मामले दर्ज करते हुए 39 अपराध दर्ज किए, चार की प्रक्रिया चल रही है जबकि 21 मामले राज्य पुलिस/एसआईटी को भेज दिए गए हैं।’’
सीबीआई प्रवक्ता ने कहा कि हाईकोर्ट में 22 दिसंबर 2021 को स्थिति रिपोर्ट सौंपने के वक्त सीबीआई ने 50 नियमित मामले दर्ज किए थे। और चुनाव बाद हिंसा की घटनाओं में एक प्रारंभिक जांच की थी।उन्होंने कहा स्थिति रिपोर्ट देने के वक्त तक सीबीआई ने 10 मामलों में आरोपपत्र दाखिल किए थे। जबकि बाकी के मामलों में प्रक्रिया लगातार चल रही है। बंगाल में चुनाव के बाद भारी मात्रा बीजेपी कार्यकर्ता के खिलाफ हिंसा की गयी थी। जिसमें सत्तारूढ पार्टी तृणमूल काग्रेंस कार्यकर्ताओं पर हिंसा फैलाने का आरोप लगा था।