बाबुल सुप्रियो बोले- पराली जलाना दिल्ली के लिये ‘‘मृत्युदंड’’ बन गया - Punjab Kesari
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बाबुल सुप्रियो बोले- पराली जलाना दिल्ली के लिये ‘‘मृत्युदंड’’ बन गया

केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने बुधवार को कहा कि सर्दियों से पहले पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना

केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो ने बुधवार को कहा कि सर्दियों से पहले पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना दिल्लीवासियों के लिये ‘‘मौसमी सौगात’’ है और इसके चलते होने वाले भीषण वायु प्रदूषण के कारण यह उनके लिये ‘‘मृत्युदंड’’ के समान बन गया है। यहां ‘इंडियन इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल’ के पांचवें संस्करण में उन्होंने कहा कि दिल्ली एवं अन्य शहरों में वायु प्रदूषण से लड़ने का ‘‘सही तरीका’’ लागू नहीं किया गया है। 
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोष की मांग करने का जिक्र करते हुए केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री ने कहा कि उन्हें ‘‘खुद के अंदर झांककर देखना’’ चाहिए, खासकर तब जब पराली जलाने के बजाय इसके प्रबंधन के लिये राज्य को मशीनें दी गयी हैं। 
उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली में वाहन प्रदूषण कम है और तस्वीरों एवं टेलीविजन पर धूमकोहरे की जो तस्वीरें हम देखते हैं वह आम तौर पर धूलकण, जैव ईंधन और पराली जलाने तथा मानव जाति की लापरवाह गतिविधियों के कारण होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पराली जलाना दिल्ली वालों के लिये मौसमी सौगात बन गया है और हवाएं भी इसमें मदद नहीं कर पा रही हैं… नतीजतन राष्ट्रीय राजधानी मृत्युदंड से गुजर रही है।’’ 
उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने पिछले साल फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने और कोष की मांग करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। उन्होंने कहा, ‘‘यह अपील खारिज कर दी गयी क्योंकि किसी एक विशेष राज्य को यह छूट नहीं दी सकती है। इस साल उनकी ओर से ऐसा ही पत्र आया है। वास्तव में उन्हें अपनी गिरेबान में झांकना चाहिए।’’ 
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पराली को जलाये बिना उसे खाद में तब्दील करने के लिये पंजाब को 1500 मशीनें दी गयीं थीं। इसमें केंद्र से अक्टूबर में 2,000 करोड़ रुपये की मांग की गयी थी ताकि प्रदूषण और मिट्टी के कटान की रोकथाम के लिये वे धान के पुआल को जलाये बिना उन्हें हटा सकें। 
दिल्ली सरकार शहर में पड़ोसी राज्यों में फसलों के अवशेष जलाये जाने को जहरीले धुंध का कारण बता चुकी है और किसान पराली जलाने का कोई व्यवहार्य विकल्प नहीं होने के कारण अपनी असमर्थता जता चुके हैं। उन्होंने कहा कि लोगों की लापरवाह गतिविधियां भी पर्यावरण क्षति का अहम कारक है। उन्होंने कहा कि हर मंत्रालय के भीतर एक लघु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय होना चाहिए ताकि उन्हें वैज्ञानिक तरीके से कुछ नया करने के लिये समृद्ध बनाया जा सके। 

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