नैनीताल : आयुर्वेदिक कंपनी इमामी ग्रुप एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के ड्रीम प्रोजेक्ट आयुष ग्राम को उच्च न्यायालय से झटका लगा है। न्यायालय ने सरकार एवं इमामी ग्रुप के बीच भवाली के टीबी सेनिटोरियम में मेडिकल पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये बनाये जाने वाले आयुष ग्राम संबंधी अनुबंध को खारिज कर दिया है। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा एवं न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने सरकार एवं इमामी कंपनी को झटका देते हुए 2010 में इस संबंध में हुए अनुबंध को खारिज कर दिया है।
उत्तराखंड सरकार ने 28 जुलाई 2010 को एक अनुबंध के तहत आयुर्वेदिक क्षेत्र में काम करने वाली कोलकाता की इमामी ग्रुप को ऐतिहासिक भवाली टीबी सेनिटोरियम में आयुष ग्राम स्थापित करने के लिये जमीन आवंटित कर दी थी। अनुबंध के तहत सरकार ने कंपनी को दस एकड़ भूमि 35 साल के लिये लीज पर आवंटित कर दी। सरकार ने भूमि को लीज पर देने के एवज में कंपनी से 2.5 करोड़ रुपये वसूले। सरकार की ओर से कहा गया कि वह प्रदेश में मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देना चाहती है। इस योजना के तहत कंपनी द्वारा एक थ्री-स्टार होटल का निर्माण किया जाना था।
साथ ही आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, यूनानी एवं सिद्ध तमाम तरह की मेडिकल सुविधायें उपलब्ध कराये जाने की योजना बनायी गयी थी। याचिकाकर्ता मोहम्मद आजम ने सरकार के इस कदम को 2011 में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि आवंटित भूमि में वन भूमि भी शामिल है और जमीन के आवंटन से पहले वन संरक्षण अधिनियम के तहत अनुमति प्राप्त नहीं की गयी है। यही नहीं आयुष ग्राम बनाने के लिये प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनिवार्य अनुमति भी नहीं ली गयी।