मणिपुर नागरिक समाज निकाय के खिलाफ असम राइफल्स ने दर्ज किया देशद्रोह का मामला - Punjab Kesari
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मणिपुर नागरिक समाज निकाय के खिलाफ असम राइफल्स ने दर्ज किया देशद्रोह का मामला

मणिपुर में हुए हिंसा के बाद लगातार सुरक्षा व्यवस्था पर कई लोग सवाल खड़ा कर रहे है। कई

मणिपुर में हुए हिंसा के बाद लगातार सुरक्षा व्यवस्था पर कई लोग सवाल खड़ा कर रहे है। कई लोगों का मानना है कि अगर पुलिस व्यवस्था सही होती तो ये दिन आज मणिपुर को नहीं देखना पड़ा जो आज आन पड़ी है। असम राइफल्स ने राज्य के मैतेई समुदाय के नागरिक समाज निकाय, मणिपुर इंटीग्रिटी पर समन्वय समिति के खिलाफ देशद्रोह और मानहानि का मामला दर्ज किया। हालांकि अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी है की COC OMR द्वारा लोगों को हथियार सरेंडर नहीं करने के लिए कहने के बाद, असम राइफल्स ने चुराचांदपुर पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कराई है। इंफाल के अधिकारियों के अनुसार देखा जाए तो हाल ही में राजद्रोह से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए एवं धारा 153 ए  IPC , धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देनेे के मामले में केस दर्ज कराया गया। जबकी रिपोर्टों में दावा किया गया है कि 3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद भीड़ और उपद्रवियों ने विभिन्न पुलिस स्टेशनों और चौकियों से 4,000 से अधिक हथियार और लाखों गोला-बारूद लूट लिए गए है। छापेमारी के दौरान सेना, असम राइफल्स, विभिन्न अन्य केंद्रीय बलों और मणिपुर पुलिस ने अब तक लूटे गए लगभग आधे दर्जन हथियार और गोला-बारूद बरामद कर लिया गया है। 29 मई से 1 जून तक चार दिनों के लिए मणिपुर का दौरा करने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, सीएम एन. बीरेन सिंह और मणिपुर पुलिस ने लोगों से कानूनी कार्रवाई की चेतावनी देते हुए लूटे गए हथियार जमा करने की अपील की।
महिला प्रदर्शनकारियों पर हमला किया गया था
वही शाह को हाल ही में दिए एक ज्ञापन में COC ओएमआई, जो मूल रूप से जून में राज्यपाल अनुसुइया उइके की अध्यक्षता में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा गठित शांति समिति का हिस्सा था।  असम राइफल्स के स्थान पर किसी अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल को शामिल करने की मांग की थी। विभिन्न नागरिक समाज संगठनों ने आरोप लगाया है कि सेना और असम राइफल्स द्वारा विभिन्न अवसरों पर महिला प्रदर्शनकारियों पर हमला किया गया था। हालांकि, रक्षा सूत्रों ने आरोपों से इनकार किया है। सेना और असम राइफल्स ने यह भी दावा किया कि प्रदर्शनकारियों ने कई मौकों पर कर्तव्यों का पालन करने और सशस्त्र उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई करने में बाधाएं पैदा कीं है।

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