असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने रविवार को कहा कि राज्य में निर्वाचन क्षेत्रों की परिसीमन कवायद में कोई समस्या नहीं है, जिसका मसौदा प्रस्ताव पिछले सप्ताह प्रकाशित किया गया था।उन्होंने कहा कि मसौदा प्रस्ताव का विरोध केवल उन लोगों द्वारा किया गया है, जो प्रक्रिया को नहीं समझते हैं या जिन्हें चुनावी हार नजर आ रही है। एक कार्यक्रम से इतर यहां पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘‘हम एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र हैं, जहां निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण सभी की भलाई को ध्यान में रखकर किया जाता है। आरक्षण एक विशिष्ट समुदाय की जनसंख्या के आधार पर किया जाता है।’’
लोग आसन्न चुनावी हार के चलते इसके खिलाफ शोर मचा रहे
उन्होंने कहा कि असम में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण की प्रक्रिया में ‘‘कोई समस्या नहीं हुई है।’’ शर्मा ने कहा, ‘‘केवल कुछ लोग आसन्न चुनावी हार के चलते इसके खिलाफ शोर मचा रहे हैं।’’मुख्यमंत्री ने इस दावे का खंडन किया कि राभा, मोरान, मातोक्स और अहोम जैसे समुदाय मसौदे से नाखुश हैं। उन्होंने कहा, ‘‘वास्तव में, वे सभी खुश हैं। मैं लखीमपुर और धेमाजी (अच्छी-खासी आदिवासी आबादी वाले) में गया था और मैंने कुछ भी नहीं सुना। मैं मुख्यमंत्री हूं, अगर कुछ होता, तो मैं सुन लेता।’’उन्होंने यह भी कहा कि परिसीमन जनसंख्या के आधार पर किया जाता है और मसौदे का विरोध करने वालों को ‘‘कानून या संविधान का कोई ज्ञान नहीं है।’’
भाजपा के गठबंधन सरकार के सहयोगियों ने विरोध प्रदर्शन किया
निर्वाचन आयोग ने 20 जून को जारी मसौदा परिसीमन दस्तावेज में असम में विधानसभा सीट की संख्या 126 और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या 14 बरकरार रखने का प्रस्ताव दिया है।आयोग ने विधानसभा और लोकसभा दोनों के अधिकांश निर्वाचन क्षेत्रों की भौगोलिक सीमाओं को बदलने की भी योजना बनाई है, जबकि कुछ सीट खत्म कर दी जाएंगी और कुछ नयी सीट बनाई जाएंगी। इसके चलते राज्य में विपक्षी दलों के साथ-साथ सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के सहयोगियों ने विरोध प्रदर्शन किया।