उत्तराखंड में भारी बारिश होने की संभावना को लेकर जारी किया गया अलर्ट, SDRF की 29 टीमों ने संभाला मोर्चा - Punjab Kesari
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उत्तराखंड में भारी बारिश होने की संभावना को लेकर जारी किया गया अलर्ट, SDRF की 29 टीमों ने संभाला मोर्चा

कुछ स्थानों पर आकाशीय बिजली, ओलावृष्टि, तेज हवाएं 80 किलोमीटर प्रति घंटा तक चलने की संभावना है। उन्होंने

उत्तराखंड में अगले तीन दिनों तक बारिश होने की संभावना होने का अलर्ट जारी किया गया है। भारी वर्षा की चेतावनी के बाद, राज्य आपदा प्रबंधन बल (एसडीआरएफ) के जवानों ने अपना मोर्चा संभाल लिया है। एसडीआरएफ के सेनानायक (कमांडेंट) नवनीत भुल्लर ने रविवार को बताया कि मौसम विभाग द्वारा आज से अगले तीन दिनों तक राज्य में भारी से बहुत भारी वर्षा के साथ ही, कहीं कहीं अत्यंत भारी वर्षा होने की संभावना होने का अलर्ट जारी किया गया है। 
 राज्य के विभिन्न जनपदों मे फोर्स की सभी टीमों को अलर्ट रखा गया है
कुछ स्थानों पर आकाशीय बिजली, ओलावृष्टि, तेज हवाएं 80 किलोमीटर प्रति घंटा तक चलने की संभावना है। उन्होंने बताया कि इस चेतावनी को देखते हुए राज्य के विभिन्न जनपदों मे फोर्स की सभी टीमों को अलर्ट रखा गया है। उन्होंने बताया कि सभी टीमों को किसी भी आपात परिस्थिति के लिए पूर्णत: अलर्ट रहने व बचाव उपकरणों को भी कार्यशील दशा में रखने के लिये निर्देशित किया गया है।
 बारिश होने की संभावना होने को लेकर एसडीआरएफ की  29 टीमों की तैनाती की गई
भुल्लर ने बताया कि कुल 29 टीमों की तैनाती की गई है। इनमें देहरादून जिले के सहस्त्रधारा, चकराता, टिहरी जिले में ढालवाला (ऋषिकेश), कोटि कॉलोनी, ब्यासी (कौड़याला), उत्तरकाशी जिले में उजेली, भटवाड़, गंगोत्री, बड़कोट,जानकीचट्टी और यमुनोत्री क्षेत्र हैं। उन्होंने बताया कि पौड़ गढ़वाल जिले में श्रीनगर, कोटद्वार, सतपुली, जिला चमोली में गौचर, जोशीमठ, पांडुकेश्वर, और श्री बद्रीनाथ जिला रुद्रप्रयाग में सोनप्रयाग, अगस्तमुनि, लिनचोली, श्रीकेदारनाथ में टीमों को विशेष रूप से तैनात किया गया है।
अतिवृष्टि से बाढ़, भूस्खलन, आकाशीय बिजली गिरना, बादल फटना इत्यादि घटनायें होती रहती हैं 
कमांडेंट ने बताया कि इसके अतिरिक्त, जिला पिथौरागढ़ में पिथौरागढ़, धारचूला, अस्कोट, जिला बागेश्वर- में कपकोट, जिला नैनीताल में नैनी झील, खैरना, जिला अल्मोड़ में सरियापानी और जिला ऊधमसिंहनगर में रुद्रपुर में राहत दल मुस्तैद हैं। उन्होंने बताया कि अतिवृष्टि से बाढ़, भूस्खलन, आकाशीय बिजली गिरना, बादल फटना इत्यादि घटनायें होती रहती हैं जिससे जान माल की हानि का भय बना रहता है। किसी भी प्रकार की आपदा के दौरान जान माल के नुकसान को कम करने न्यूनीकरण एवं तुरंत राहत प्रदान करने के लिए बचाव दलों को पहले से ही संवेदनशील स्थानों पर तैनात किया गया है। 

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