महाराष्ट्र की राजनीति में उथल – पुथल जारी है एनसीपी नेता अजीत पवार के अचानक उपमुख्यमंत्री बनने के बाद राज्य की राजनीति में एक अलग ही उबाल आ गया है। पहले शिव सेना में फूट और अब एनसीपी में चाचा भतीजे में पार्टी को लेकर खींच तान ये भविष्य ही तय करेगा किस को पार्टी मिलेगी। राजनीति के बड़े खिलाडी कहे जाने वाले शरद पवार अपनों का ही खेल समझ पाने में हार गए। अब महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में एनसीपी और उनके नेताओ को लेकर अलग – अलग बाते हो रही है।
दुखद विभाग मांगने के लिए दिल्ली जाना पड़ा
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता महेश तापसे ने गुरुवार को दावा किया कि पोर्टफोलियो आवंटन और संभावित कैबिनेट विस्तार पर मतभेदों को लेकर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना, भाजपा और अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकांपा की एनडीए सरकार में “नाराजगी” थी। उन्होंने कहा, “अजित पवार राकांपा के एक मजबूत नेता हैं और यह दुखद है कि उन्हें अब विभाग मांगने के लिए दिल्ली जाना पड़ा और खाली हाथ लौटना पड़ा। सरकार के भीतर नाराजगी की भावना है।” उनकी यह टिप्पणी महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और साथी राकांपा प्रतिद्वंद्वी गुट के नेता प्रफुल्ल पटेल की बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद आई है, उन्होंने इसे “शिष्टाचार भेंट” बताया है।
बीजेपी के पास 105 विधायक होने के बावजूद सरकार में 10 मंत्री
राकांपा नेता ने कहा कि अब तक तीनों दलों के केवल 29 मंत्रियों ने शपथ ली है। उन्होंने कहा, “बीजेपी के पास 105 विधायक होने के बावजूद सरकार में 10 मंत्री हैं, जबकि सीएम शिंदे के नेतृत्व वाली सेना, जिसके पास 50 के करीब विधायक हैं, के पास 10 मंत्री हैं। अजीत पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट के पास केवल 9 मंत्री हैं।आपस में नाराजगी है क्योंकि शिंदे समूह ने कहा है कि अजित पवार के कारण ही उन्होंने (राकांपा विधायक) सरकार छोड़ी। अब, उन्हें उनके साथ सरकार में रहना होगा। अब वे जनता का सामना कैसे करेंगे?”