अजित पवार के साथ शपथ लेने वाले एनसीपी के आठ मंत्रियों को आखिरकार 12 दिन बाद विभाग मिल गए. इस बंटवारे में बीजेपी को अपने छह मंत्रालय छोड़ने पड़े हैं, तो शिवसेना शिंदे गुट को भी अपने पांच मंत्रालय अजित पवार गुट को सौंपने पड़े हैं। अजित पवार को महाराष्ट्र के वित्त मंत्रालय का जिम्मा मिला है। इस फेरबदल की खास बात यह रही कि मंत्रिमंडल से किसी मंत्री को हटाया नहीं गया। इस बंटवारे में अजित पवार गुट की छाप देखी जा सकती है।उसे अपने पसंद के विभाग मिले हैं।
एनसीपी के अजित पवार गुट को उनकी मांग के मुताबिक विभाग मिला
एनसीपी के अजित पवार गुट को उनकी मांग के मुताबिक वित्त और सहकारिता विभाग मिल गया है। वित्त विभाग की जिम्मेदारी अजित पवार संभालेंगे तो सहकारिता विभाग की जिम्मेदारी एनसीपी के दिलीप वलसे पाटील को सौंपी गई है।अजित पवार गुट शुरू से ही वित्त और सहकारिता विभाग की मांग कर रहा था। पार्टी का महाराष्ट्र के सहकारी आंदोलन और प्राइवेट शुगर मिल लॉबी में मजबूत दखल है। पिछले काफी समय से इन दोनों क्षेत्रों में उसे परेशानी आ रही थी, ऐसे में अब सहकारिता विभाग उसके पास आ जाने से उनकी समस्याओं का तेजी से समाधान होगा।
नियोजन मंत्रालय, गृह निर्माण मंत्रालय किसको छोड़ना पड़ा
सहकारिता विभाग बीजेपी के अतुल सावे के पास था। वहीं वित्त विभाग का काम उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस देख रहे थे। फडणवीस को वित्त के अलावा नियोजन मंत्रालय, गृह निर्माण मंत्रालय को भी छोड़ना पड़ा है। जिनको महाराष्ट्र की राजनीति में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है । महाराष्ट्र की ग्रामीण राजनीति में कृषि मंत्रालय को महत्वपूर्ण माना जाता है। यह विभाग भी शिंदे गुट के अब्दुल सत्तार से वापस लेकर एनसीपी एनसीपी के धनंजय मुंडे को सौंप कहां गया शिव सेना शिंदे गुट का विरोध अजित पवार के पास शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की सरकार में भी वित्त मंत्रायल था।
विधायकों ने बगावत के समय इस बात पर जताई थी आपत्ति
एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायकों ने बगावत के समय अजित पवार के पास वित्त मंत्रालय होने पर भी आपत्ति जताई थी। उनका आरोप था कि पवार भेदभाव करते हैं। वे शिवसेना के क्षेत्र में एनसीपी को अधिक फंड देने का आरोप लगाते थे। उनका कहना था कि इस तरह से अजित पवार शिवसेना को कमजोर कर रहे हैं ।अब अजित पवार के पास फिर वित्त मंत्रालय आ जाने से सवाल यही है कि शिंदे गुट झुका क्यों। वो पवार को वित्त मंत्रालय देने पर सहमत क्यों हुआ। जानकार बताते हैं कि सरकार में शामिल होने से पहले ही अजित पवार गुट ने इन विभागों की मांग कर दी थी, बीजेपी की ओर से सहमति मिलने के बाद ही वो अपने चाचा शरद पवार से बगावत कर शिवसेना और बीजेपी की सरकार में शामिल हुए दिया गया है।