मलेशिया में फंसे झारखंड के 50 कामगारों की 11 से 18 दिसंबर तक वतन वापसी - Punjab Kesari
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मलेशिया में फंसे झारखंड के 50 कामगारों की 11 से 18 दिसंबर तक वतन वापसी

मलेशिया में महीनों से फंसे झारखंड के 50 कामगारों की वतन वापसी को लेकर कायम गतिरोध दूर कर

मलेशिया में महीनों से फंसे झारखंड के 50 कामगारों की वतन वापसी को लेकर कायम गतिरोध दूर कर लिया गया है। सभी कामगार 11 से 18 दिसंबर तक अपने घर और गांव लौट आएंगे।झारखंड सरकार के आग्रह पर विदेश मंत्रालय के हस्तक्षेप से इनकी वापसी सुनिश्चित कराने के लिए कागजी कार्रवाई पूरी कर ली गई है। झारखंड सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय ने बताया है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व्यक्तिगत तौर पर इस पूरे मामले पर नजर रख रहे हैं। फिलहाल सभी कामगार मलेशिया स्थित भारत दूतावास में हैं।

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मजदूरों ने वीडियो संदेश के जरिए मांगी मदद

झारखंड के हजारीबाग, बोकारो, गिरिडीह और धनबाद जिले के रहने वाले 50 कामगार मलेशिया स्थित लीडमास्टर इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने गए थे। शुरुआत के महीनों में इन्हें अनुबंध के अनुसार वेतन और सुविधाएं हासिल हुईं, लेकिन बाद में चार महीने तक उनका वेतन रोक दिया गया। इन कामगारों ने वीडियो संदेश जारी कर केंद्र और राज्य सरकार से हस्तक्षेप और वतन वापसी की गुहार लगाई थी। झारखंड सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय के अनुसार, मजदूरों के फंसे होने की शिकायत राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष को 24 सितंबर 2024 को प्राप्त हुई। मामले की जानकारी जब मुख्यमंत्री को हुई, तब तक चुनाव हेतु आचार संहिता लागू हो गई, इसके बाद इनकी वापसी की प्रक्रिया धीमी हो गई थी।

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मलेशिया में फंसे कामगार जल्द भारत लौटेंगे

चुनाव समाप्त होने और नई सरकार गठन के बाद अब कामगारों की स्वदेश वापसी का रास्ता साफ हो गया है। जानकारी के अनुसार, सभी कामगारों का अनुबंध के तहत 1,700 मलेशियन रिंगिट (मुद्रा) का वेतन तय था, परंतु उन्हें 1,500 रिंगिट ही दिए जा रहे थे। इसमें भी कटौती की जा रही थी। कंपनी की ओर से उनका भोजन पानी भी बंद कर दिया गया था। विरोध करने पर उन्हें धमकियां भी मिल रहीं थीं। इसे लेकर कामगारों ने मलेशिया पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई थी। बाद में कामगारों ने इस मामले से संबंधित आवश्यक दस्तावेज एवं आवेदन श्रम विभाग को भेजा। इसके बाद श्रम विभाग के आग्रह पर कुआलालम्पुर स्थित भारतीय दूतावास ने कंपनी के प्रतिनिधियों एवं कामगारों के बीच समझौता कराया। भारतीय दूतावास ने सभी कामगारों को अपने संरक्षण में लिया और कंपनी से उनकी बकाया राशि का भुगतान सुनिश्चित कराया।

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