हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में छितकुल में ट्रैकिंग के दौरान लापता हुए पांच ट्रैकरों के शव लमखागा दर्रे से बरामद किये गये हैं तथा चार अन्य लापता ट्रैकरों की तलाश जारी है। दो को सुरक्षित बचा लिया गया है जिनमें से एक ही हालत गम्भीर है। जिला उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने ट्रैकरों के शव बरामद किये जाने की पुष्टि करते हुये बताया कि सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस(आईटीबीपी) और पुलिस ने संयुक्त राहत एवं बचाव अभियान के दौरान ये शव बरामद किए हैं।
आईटीबीपी की टीम सुबह साढ़ चार बजे लमखागा दर्रे के लिए रवाना हुई
उन्होंने बताया कि आईटीबीपी की एक टीम आज सुबह साढ़ चार बजे लमखागा दर्रे के लिए रवाना हुई और वहां से इसने पांच शव बरामद किये। जहां से ये शव बरामद हुये हैं वहां करीब चार फुट बर्फ थी। शव निकालने के लिये सेना के हेलीकॉप्टर की मदद ली गई। अब चार अन्य लापता ट्रैकरों की तलाश की जा रही है। मृतकों की शिनाख्त की जा रही है। उल्लेखनीय है कि गत आठ ट्रैकरों समेत 11 लोग लापता हो गए थे। इनमें तीन रसोईये भी शामिल हैं।
मौसम खराब होने के कारण रास्ता भटके
समुद्रतल से करीब 20 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित लम्खागा दर्रा में इस दल के लापता होने की सूचना उत्तराखंड सरकार ने हिमाचल सरकार को दी थी। जिसके बाद किन्नौर प्रशासन ने राहत एवं बचाव अभियान चलाया। पश्चित बंगाल और अन्य स्थानों के आठ ट्रैकरों का यह दल मोरी सांकरी की एक ट्रैकिंग एजेंसी के माध्यम से गत 11 अक्तूबर को हर्षिल से रवाना हुआ था। दल ने वन विभाग उत्तरकाशी से 13 से 21 अक्तूबर तक लम्खागा दर्रा तक ट्रैकिंग करने के लिए परमिट भी लिया था लेकिन बीच रास्ते में मौसम खराब होने के कारण यह रास्ता भटक गया।
उत्तरकाशी के पुरोला के रहने वाले हैं
इस दस के सदस्यों की शिनाख्त दिल्ली की अनीता रावत (38) पश्चिम बंगाल के मिथुन दारी (31) तन्मय तिवारी (30), विकास मकल (33), सौरभ घोष (34), सावियन दास (28), रिचर्ड मंडल (30), सुकेन मांझी (43) के तौर पर हुई है। जबकि रसोईये देवेंद, (37), ज्ञान चंद, (33) और उपेंद, (32) के रूप में हुई है। ये सभी उत्तरकाशी के पुरोला के रहने वाले हैं।