माकपा नेता वृंदा करात ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) पर केरल में लोगों को निशाना बनाने और अंतर जातीय या अंतर समुदाय विवाह करने वाले दंपतियों से आक्रामक रूप से पूछताछ करने का आरोप लगाया।
पार्टी के पोलित ब्यूरो की सदस्य ने कहा कि अंतरजातीय और अंतर-सामुदायिक शादियों का भारत की खुली और आजाद सोच के प्रतीक के रूप में जश्न मनाने के बजाय इसके खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है।
करात ने पार्टी की पत्रिका पीपुल्स डेमोक्रेसी के ताजा अंक में हदिया मामले का जिक्र करते हुए कहा, एनआईए लोगों को निशाना बना रही है और केरल में 89 ऐसे दंपतियों से पहले ही पूछताछ हो चुकी है।
उन्होंने लव जिहाद के संदर्भ में ऐसी शादियों की जांच में केंद्रीय एजेंसी की भूमिका की आलोचना की। उन्होंने लेख में कहा, एक एजेंसी जिसे आतंकवाद से संबंधित अपराधों की जांच करने का जिम्मा सौंपा गया है, उसे उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद मुस्लिम पुरुषों द्वारा हिंदू महिलाओं को शादी का झांसा देने तथा उन्हें इस्लामिक स्टेट में शामिल करने के उद्देश्य से जबरन धर्मांतरण कराने के तथा कथित षडयंत्र का खुलासा करने का जिम्मा दे दिया गया है।
करात ने कहा, उसका (हदिया) मामला यह दिखाता है कि संकीर्ण धार्मिक सोच पर आधारित साम्प्रदायिक विचारधारा ने कितना गंभीर माहौल बनाया है जिससे समान नागरिक के तौर पर स्वायथता के महिलाओं के अधिकारों को कुचला गया है। हदिया के मामले में सरकार से लेकर अदालतों तक रूढ़िवादी और पिछड़ सोच को बल मिला।
माकपा नेता ने अदालत में हदिया के स्पष्ट बयान की भी प्रशंसा की। करात ने कहा कि हदिया के मामले से संविधान के तहत अपनी पसंद के धर्म को मानने और उसका प्रचार-प्रसार करने के अधिकार पर प्रकाश डाला। उन्होंने उम्मीद जताई कि उच्चतम न्यायालय इस तरीके से काम करेगी जिससे कि महिलाओं के अधिकार मजबूत होंगे।
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