रांची, (वार्ता): झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता अर्जुन मुंडा ने आज कहा कि छोटानागपुर काश्तकारी (सीएनटी) एवं संतालपरगना काश्तकारी (एसपीटी) अधिनियम में संशोधन से संबंधित विधेयक को राज्यपाल ने कारण पृच्छा के साथ राज्य सरकार को वापस किया है और इस पर विस्तृत चर्चा के साथ पुनर्विचार होना चाहिए।
श्री मुंडा ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अखबार के माध्यम से उन्हें सीएनटी-एसपीटी अधिनियम में संशोधन संबंधित विधेयक को राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू द्वारा वापस किये जाने की जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने कई कारण पृच्छा के साथ इसे वापस भेजा है और इसकी विस्तृत जानकारी अभी उनके पास नहीं है, लेकिन विधेयक के समय ही उन्होंने राज्य सरकार को पत्र लिखकर विधेयक के कई बिन्दुओं पर विस्तृत चर्चा करने का सुझाव दिया था।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि संशोधन विधेयक में एसएआर कोर्ट समाप्त करने का प्रावधान किया गया है, जो अच्छी पहल है इसलिए इस संशोधन विधेयक को पूरी तरह से खारिज करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि विधेयक में जो प्रावधान अनुसूचित जनजाति के हितों की रक्षा करने में सक्षम नहीं है, उस पर अवश्य विचार होना चाहिए।
श्री मुंडा ने कहा कि विपक्षी दल जिस तरह से इस संशोधन विधेयक को लेकर बयानबाजी कर रहे है, वह उचित नहीं है और इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह एक संवेदनशील मुद्दा है और ऐसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि भाजपा अनुसूचित जनजाति की हितैषी रही है और उसके हितों के लिए सदैव काम करती है। इसलिए, इस संशोधन विधेयक को लेकर भी भाजपा वही काम करेगी, जो अनुसूचित जनजाति के हितों की रक्षा करने वाली होगी।