राज्य में विधानसभा चुनावों को देखते हुए कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने सोमवार को लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक दर्जा देने का फैसला किया है। लेकिन सिद्धारमैया सरकार के इस फैसले पर हंगामा शुरू हो गया है। बीजेपी ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है और इसे हिंदुओं को बांटने वाला बताया है। केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा ने इस मामले पर सिद्धारमैया सरकार को निशाने पर लिया है।
पुरानी घटना का हवाला देते हुए उन्होंने लिखा कि अगस्त 2014 में महाराष्ट्र की तत्कालीन सरकार ने ऐसा ही फैसला लिया था लेकिन केंद्र में बैठी यूपीए सरकार ने पृथ्वीराज चौहान सरकार का यह फैसला ठुकरा दिया था। क्या सिद्धारमैया इस बात को नहीं जानते हैं। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार का यह फैसला हिंदुओं को बांटने वाला है।
कांग्रेस नीत कर्नाटक सरकार के इस फैसले का राजनीतिक प्रभाव देखने को मिल सकता है। इस समुदाय को कांग्रेस की ओर आकर्षित करने की मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की एक कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बीएस येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से आते हैं। ये समुदाय राज्य में संख्या बल के हिसाब से मजबूत और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली है।
राज्य में लिंगायत/ वीरशैव समुदाय की कुल आबादी में 17 प्रतिशत की हिस्सेदारी होने का अनुमान है, इन्हें कांग्रेस शासित कर्नाटक में बीजेपी का पारंपरिक वोट माना जाता है। अब इसी वोटबैंक में कांग्रेस सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। उनका यह फैसला बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। लिहाजा इस मामले पर सियासी वार-पलटवार शुरू हो गया है।
वहीं राज्य में सिद्धारमैया सरकार के इस ऐलान के बाद लिंगायत और वीरशैव समुदायों के बीच हिंसा हो गई। राज्यसरकार के इस फैसले के बाद दोनों वर्ग के लोग जश्न मनाते हुए कुलबर्गी पहुंचे थे। वहीं पर इनका टकराव हो गया। मान्यता है कि वीरशैव समुदाय के लोग भी लिंगायत ही हैं लेकिन लिंगायत समुदाय उन्हें अलग मानता है। बता दें कि कैबिनेट के फैसले के बाद यह समुदाय आधिकारिक रूप से हिंदू धर्म से अलग हो जाएगा।
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