ममता के मंसूबों पर पानी फेर सकता है ग्रहण योग : बाबा भागलपुर - Punjab Kesari
Girl in a jacket

ममता के मंसूबों पर पानी फेर सकता है ग्रहण योग : बाबा भागलपुर

पिता का सुख में कमी व कई अन्य सुख नहीं प्राप्ति की ओर संकेत कर रहा है तथा

भागलपुर : बीते दिनों पूर्व सुश्री ममता बनर्जी ने सियासी दाव खेलकर चाहती थी कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी धारा 356 का प्रयोग करें और उसे राजनीतिक शहीद होने का सुअवसर मिले तथा वे परिणाम स्वरूप मोदी जी के विरोध की धुरी बन जाये और कांग्रेस समेत सारे विपक्षी पार्टी उसे अपना नेता मान लें। वे प्रधानमंत्री पद की सर्वमान्य नेता हो जाए। परन्तु नरेन्द्र मोदी जी ने धैर्य से काम लिया और ममता की मायाजाल में फंसने के बजाये उसके जाल में उसे ही फंसा दिया। आखिर ऐसा क्यों हुआ और ममता की माया रास नहीं आयी प्रधानमंत्री मोदी को? उक्त जानकारी पं. आर. के. चौधरी, बाबा भागलपुर, भविष्यवेत्ता एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ ज्योतिषीय परिप्रेक्ष्य में बताया कि सब तो नव ग्रहों के अधीनस्थ किस्मत का खेल है।

उन्होंने बताया कि इस खेल को देखने के लिए हम देखते हैं कि सुश्री ममता बनर्जी के सितारे क्या बोलते हैं? इनका जन्म 05 जनवरी 1955 को अपराह्न 12 बजे के लगभग कोलकता में हुई। उपलब्ध विवरणी के अवलोकनोपरान्त ज्ञात हो रहा है कि मेष लग्न, वृषभ के चन्द्र, कृतिका नक्षत्र के तृतीय चरण और मेष के नवांश।

जन्मकुंडली काफी सशक्त और राजयोगों से लवालव है तथा कुछेक खराब योग भी है। परिणाम भी सामने हैं क्ई बार केन्द्रीय मंत्री और 20 मई 2011 से अब तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हैं। देव गुरु बृहस्पति भाग्ययेश व व्ययेश होकर चतुर्थ भाव में स्थित होकर उच्च श्रेणी के राजयोग हंस नामक योग का सृजन किया है, जिसके फलस्वरूप बृहस्पति की महादशा व अन्तर्दशा में केन्द्रीय मंत्री पद पर विराजमान हुई। कर्मेश व लाभेश शनि सप्तम भाव में अपनी उच्च राशि तुला में अवस्थित होकर शश नामक राजयोग तथा बुध वर्गोंत्तम नामक योग का सृजन किया है।

परिणाम भी सामने हैं शनि की महादशा और बुध की अन्तर्दशा के क्रम में 20 मई 2011 को प्रथम बार मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान होकर कार्यकाल पूर्ण की तथा इतना ही नहीं लगातार दूसरे कार्यकाल की शुरुआत और प्रचंड बहुमत से 27 मई 2016 से शनि की महादशा व शुक्र की अन्तर्दशा के क्रम में की है।

इस शुक्र पर सुखेश चन्द्र और उच्चस्थ बृहस्पति की दृष्टि के फलस्वरूप राजकाज में अच्छी सफलता प्रदान की है। जबकि शनि की महादशा फरवरी 2024 तक है, जो अवशेष दशा अनुकूल नहीं है और गोचर से शनि और बृहस्पति प्रतिकूल है। भाग्यभावस्थ सूर्य-बुध के साथ राहु की युति संबंध ग्रहण योग व नवांश में सूर्य नीच का होने से पिता का सुख में कमी व कई अन्य सुख नहीं प्राप्ति की ओर संकेत कर रहा है तथा इसी ग्रहण योग के फलस्वरूप ममता के मंसूबों पर पानी फेर सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

11 − 4 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।