सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के एक दिन बाद अब न्यायमूर्ति बी आर गवई भी भीमा कोरेगांव मामले में सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने सम्बन्धी उनकी याचिका की सुनवाई से मंगलवार को खुद को अलग कर लिया।
संबंधित याचिका आज न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति बी आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई, न्यायमूर्ति गवई ने सुनवाई से खुद को अलग करने की घोषणा की। इसके बाद इस याचिका को न्यायमूर्ति गोगोई के पास फिर से भेज दिया गया ताकि नई पीठ का गठन किया का जा सके। इस मामले की सुनवाई से कल मुख्य न्यायाधीश ने खुद को अलग कर लिया था।
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बॉम्बे हाई कोर्ट ने प्राथमिकी निरस्त करने संबंधी नवलखा की याचिका खारिज कर दी थी, जिसके खिलाफ उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हाई कोर्ट ने भीमा-कोरेगांव हिंसा और माओवादियों के साथ कथित जुड़ाव के लिए नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज करने से इनकार करते हुए पिछले दिनों कहा था कि मामले में प्रथम दृष्टया तथ्य दिखता है।
न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की पीठ ने कहा था कि मामले की व्यापकता को देखते हुए उसे लगता है कि पूरी छानबीन जरूरी है। पीठ ने कहा था कि यह बिना आधार और सबूत वाला मामला नहीं है। पीठ ने नवलखा की ओर से दायर याचिका खारिज कर दी थी जिन्होंने जनवरी 2018 में पुणे पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने की मांग की थी। एल्गार परिषद द्वारा 31 दिसंबर 2017 को पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव में कार्यक्रम के एक दिन बाद कथित रूप से हिंसा भड़क गई थी।