महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने कहा कि वह अपने दिवंगत पिता बालासाहेब ठाकरे (Bal Thackeray) के वादे को नहीं भूले हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि वह औरंगाबाद (Aurangabad) का नाम बदलकर संभाजी नगर रखेंगे। उन्होंने कहा कि शहर का नाम बदला जाएगा और वह इसे करेंगे। उन्होंने कहा, “हिंदुत्व हमारी हर सांस में है.. मैं कभी नहीं भूला कि मेरे दिवंगत पिता बालासाहेब ठाकरे ने वादा किया था कि औरंगाबाद का नाम संभाजी नगर रखा जाएगा… हम इसे बदल देंगे।”
CM उद्धव पूरा करेंगे बालासाहेब ठाकरे का वादा
भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) सीएम ठाकरे पर औरंगाबाद का नाम बदलने का दबाव बना रही है क्योंकि यह दिवंगत बालासाहेब ठाकरे का वादा था। हालांकि, शिवसेना को अपने सहयोगियों से आनाकानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं सीएम ठाकरे ने भाजपा को कश्मीर में हनुमान चालीसा का पाठ करने की भी चुनौती दी, जहां पिछले कुछ हफ्तों में प्रवासी श्रमिकों और कश्मीरी पंडितों की टारगेट किलिंग (Target Killing) हुई हैं। उन्होंने औरंगाबाद में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, “अगर आप में हिम्मत है तो कश्मीर में जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें।”
BJP प्रवक्ता के बयान के कारण देश को सहना पड़ा अपमान
ठाकरे ने यह भी कहा कि शिवसेना ने हिंदुत्व के लिए क्या किया और बीजेपी ने क्या किया, इस पर मुंबई में खुली बहस होनी चाहिए। उन्होंने नुपुर शर्मा मामले को भी उठाया और कहा कि भाजपा प्रवक्ता के एक बयान के कारण देश को अपमान सहना पड़ा। यहां महाराष्ट्र में उन्होंने कहा कि भाजपा लाउडस्पीकर और अन्य चीजों को लेकर मुद्दा बना रही है।
हमारा पीछा छोड़ कश्मीरी पंडितों की स्थिति पर दें ध्यान :उद्धव
शिवसेना प्रमुख ने भाजपा की ओर इशारा करते हुए कहा कि महा विकास अघाड़ी (Maha Vikas Aghadi) गठबंधन ने कुछ लोगों के सपनों के खिलाफ सरकार के 2.5 साल पूरे कर लिए हैं। ठाकरे ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भगवा पार्टी के नेता यह दिखाने के लिए माहौल बनाते हैं कि यहां महाराष्ट्र में चीजें ठीक नहीं हैं। उन्होंने कहा, “ईडी और सीबीआई को हमारे पीछे चलाने के बजाय जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की स्थिति पर ध्यान दें।
मोहन भागवत के इस बयान का किया स्वागत
ठाकरे ने यह भी कहा कि उन्होंने ‘शिवलिंग’ पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के हालिया बयान का स्वागत किया। इस महीने की शुरुआत में आरएसएस प्रमुख ने कहा था कि हर मस्जिद में ‘शिवलिंग’ देखने की जरूरत नहीं है। उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब मंगलुरु जैसे कुछ स्थानों पर मस्जिदों के सर्वेक्षण की मांग करने वाली अदालतों में कई याचिकाएं दायर की गई थीं।