फटी जींस नहीं हो सकती हमारी संस्कृति का हिस्सा... अपने पुराने कमेंट पर कायम है तीरथ रावत, जानें क्या कहा - Punjab Kesari
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फटी जींस नहीं हो सकती हमारी संस्कृति का हिस्सा… अपने पुराने कमेंट पर कायम है तीरथ रावत, जानें क्या कहा

अपने विवादित बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहने वाले गढ़वाल सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत

अपने विवादित बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहने वाले गढ़वाल सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अपने फटी जींस वाले बयान पर अब भी कायम है, दरअसल फटी जींस को लेकर दिए उनके बयान की काफी आलोचना हुई थी। तीरथ सिंह रावत का कहना है कि फटा हुआ कपड़ा कभी भी हमारी भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं रहा है। बताते चलें कि उन्होंने जींस का विरोध नहीं किया था, बल्कि फटी जींस पर एतराज जताया था। मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए तीरथ सिंह रावत ने मार्च 2021 में बाल संरक्षण अधिकार आयोग की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में यह बयान दिया था कि आजकल के बच्चे बाजार में घुटनों पर फटी जींस खरीदने जाते हैं, यह हमारे संस्कार और संस्कृति का हिस्सा नहीं है। 
अपने पुराने बयान पर कायम है पूर्व CM रावत 
वहीं अब फटी जींस पर बात करते हुए तीरथ सिंह रावत ने कहा कि वह अपने बयान पर आज भी कायम है, उन्होंने दावा करते हुए कहा कि उस वक्त भी लाखों लोगों ने फटी जींस के संदर्भ में उनके बयान का समर्थन किया था। बता दें की उनके कमेंट पर आम जनता के साथ-साथ राजनीतिक दलों और बॉलीवुड के सितारों ने भी रिएक्शन दिया था और रावत का घेराव किया था। बता दें कि इतनी किरकिरी और खिलाफत होने के बाद तीरथ सिंह रावत ने अपने बयान पर माफी मांगी थी, लेकिन अब वह कह रहे हैं कि वह अपने कमेंट पर अडिग हैं। 
फटी जींस को लेकर तीरथ सिंह रावत ने कही यह बात 
रविवार को श्रीनगर में एक कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे रावत ने फटी जींस का मसला उठाया, उन्होंने कहा कि विदेशी लोग हमारी संस्कृति को अपना रहे हैं और हम पाश्चात्य संस्कृति का अंधा अनुकरण करते हुए फटी जींस पहन रहे हैं। कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि वह फटी जींस संबंधी अपने पुराने बयान पर कायम हैं। तीरथ सिंह रावत ने कहा कि मैं गौरवान्वित महसूस करता हूं कि लाखों लोगों ने इसे स्वीकारा है। 
उन्होंने कहा कि जब हम स्कूल-कॉलेज जाते थे, तो हम भी जींस पहनते थे। यदि कभी घुटना फट गया, तो उस पर पैच लगाते थे। गुरुजी का डर होता था। साथ ही अनुशासन, संस्कार व संस्कृति इसकी इजाजत नहीं देती है, लेकिन आज यह स्थिति है कि जींस फटी नहीं है, तो नौजवान इस पर कैंची चला देते हैं। उन्होंने कहा कि जींस का विरोध नहीं है, बल्कि फटी जींस का विरोध है। फटा कपड़ा हमारी संस्कृति का द्योतक नहीं है। पूरा शरीर ढकना हमारी संस्कृति में है।

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