देश की पहली दृष्टिबाधित महिला आईएएस अधिकारी प्रांजल पाटिल ने सोमवार को कहा कि उन्होंने ‘‘कभी भी हार नहीं मानी।’’ पाटिल ने यहां तिरुवनंतपुरम की उप-जिलाधिकारी का पद्भार संभाला। केरल कैडर की अधिकारी पाटिल ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए क्योंकि हमारे प्रयासों से हम सभी को वह सफलता मिलेगी जो हम चाहते हैं।’’
महाराष्ट्र के उल्हासनगर की रहने वाली पाटिल (30) ने उस समय अपनी आंख की रोशनी खो दी थी, जब वह मात्र छह वर्ष की थी। उन्होंने 2016 में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा में 773वीं रैंक हासिल की थी और अगले वर्ष इसमें सुधार करते हुए 124वीं रैंक हासिल की। पाटिल को उनकी प्रशिक्षण अवधि के दौरान एर्नाकुलम सहायक कलेक्टर नियुक्त किया गया था।
2016 में 773वीं रैंक आने के बाद प्रांजल पाटिल ने को भारतीय रेलवे लेखा सेवा (IRAS) में नौकरी आवंटित की गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रेनिंग के समय रेलवे मंत्रालय ने उन्हें नौकरी देने से इनकार कर दिया था। रेलवे मंत्रालय ने प्रांजल की 100 फीसदी नेत्रहीनता को कमी का आधार बनाया था। इसके बाद प्रांजल ने 2017 में फिर से UPSC की परीक्षा दी और 124वीं रैंक हासिल की।