नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पौत्र चंद्रकुमार बोस ने केंद्र से आग्रह किया है कि जापान के रेंकोजी मंदिर में रखीं प्रखर राष्ट्रवादी नेता की कथित अस्थियों को उनके 125वें जयंती वर्ष में इस साल देश वापस लाया जाए और यदि तकनीकी रूप से संभव हो तो डीएनए परीक्षण का आदेश दिया जाए। उन्होंने आग्रह किया कि अस्थियों को 18 अगस्त तक वापस लाया जाए जिस दिन 1945 में ताइहोकू में एक कथित हवाई दुर्घटना में नेताजी की मृत्यु हो गई थी।
चंद्रकुमार ने पीएम को लिखा पत्र
चंद्रकुमार ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे अपने पत्र में कहा, नेताजी की महत्वाकांक्षा एक विजयी क्रांतिकारी सेना के प्रमुख के रूप में एक स्वतंत्र भारत लौटने की थी। परिस्थितियों ने ऐसा नहीं होने दिया। इस 125वें जयंती वर्ष में उनकी इच्छाओं का सम्मान करने का सबसे अच्छा तरीका उनके अवशेषों को 18 अगस्त 2022 तक लाने का होगा। भारत सरकार ऐसा कर सकती है। यदि तकनीकी रूप से संभव हो, तो पुष्टि करने के लिए डीएनए परीक्षण किया जा सकता है।
सरकार को यकीन है कि रेंकोजी मंदिर में रखे अवशेष नेताजी के हैं
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं सुभाष चंद्र बोस का 125वां जयंती वर्ष मनाने से संबंधित उच्चस्तरीय केंद्रीय समिति के सदस्य ने कहा कि अस्थियों को वापस लाए जाने से नेताजी से जुड़ी विभिन्न कहानियों पर विराम लग जाएगा। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता ने अपने पत्र में कहा, सरकार को यकीन है कि रेंकोजी मंदिर में रखे अवशेष नेताजी के हैं और यही वजह है कि भारत सरकार अवशेषों वाले कलश की देखभाल से जुड़ी लागत में योगदान करती है।