तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम के करीब 48 हजार कर्मचारियों के आंदोलन को सही ठहराते हुए विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं तथा सामाजिक संगठनों ने बुधवार को कहा कि मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव को कर्मचारियों के उठाये मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। तेलंगाना राज्य सड़क परिवहन निगम (टीएसआरटीसी) यूनियन के नेताओं ने हैदराबाद प्रेस क्लब में विभिन्न राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों के नेताओं के साथ बैठक की।
सड़क परिवहन निगम के कर्मचारी संगठनों की बेमियादी हड़ताल बुधवार को पांचवें दिन भी जारी रही। वहीं चंद्रशेखर राव ने हड़ताल पर गये कर्मचारियों को ‘खुद ही बर्खास्त हुए’ बता दिया। कर्मचारियों ने राज्य भर में कई जगहों पर प्रदर्शन किये। माकपा ने ‘आरटीसी को बचाओ’ के नाम पर शहर में रैली निकाली।
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तेलंगाना भाजपा के विधान परिषद सदस्य रामचंद्र राव ने कहा कि सरकार को फायदे के लिए नहीं बल्कि सेवा के लिए काम करना चाहिए। राव ने कहा, ‘‘सरकार कारोबार करने के लिए नहीं है। वह जन सेवा और जन कल्याण के लिए है। सरकार को यह बात दिमाग में रखनी चाहिए।’’ तेलुगू देशम पार्टी के वरिष्ठ नेता रावुला चंद्रशेखर ने कहा कि आरटीसी के कुछ मार्गों का निजीकरण एक अनुचित विचार है और पहले एक बार ऐसा ही करने पर पूर्ववर्ती आंध्र प्रदेश के एक मुख्यमंत्री को पद छोड़ना पड़ा था।
माकपा की तेलंगाना इकाई के सचिव टी वीरभद्रम, तेलंगाना जन समिति के प्रमुख कोडनडरम और उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बी चंद्र कुमार ने बैठक में भाग लिया। निगम के 48 हजार कर्मचारियों के काम पर नहीं आने और सरकारी बसे सड़कों पर नहीं उतरने की वजह से यात्रियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। हालांकि टीएसआरटीसी का कहना है कि उसने यात्रियों की सुविधा को देखते हुए कदम उठाये हैं और बसों समेत 11 हजार वाहनों की व्यवस्था होने से उन्हें परेशानी नहीं आई।
टीएसआरटीसी के विभिन्न कर्मचारी संगठनों के सदस्यों ने आरटीसी का सरकार में विलय करने, अनेक पदों पर भर्ती करने समेत विभिन्न मांगों को लेकर निगम की संयुक्त कार्य समिति के आह्वान पर तेलंगाना राज्य में पांच अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की थी। हड़ताल पर कड़ा रुख अपनाते हुए मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया था कि किसी भी परिस्थिति में आरटीसी का सरकार में विलय नहीं किया जाएगा।