झारखंड पूर्णत: शांतिप्रिय एवं अपराधमुक्त राज्य बने। पुलिस अपराधियों में खौफ तथा आम जनता में विश्वास का प्रतीक बनें। झारखंड की मुख्य सचिव श्रीमती राजबाला वर्मा तथा पुलिस महानिदेशक डी. के. पांडेय ने अपराध नियंत्रण एवं विधि व्यवस्था को बहाल रखने के लिये राज्य के सभी जिलों के उपायुक्त एवं पुलिस अधीक्षकों को व्यापक दिशा निर्देश जारी करते हुए यह बात कही है। प्रत्येक थाना अपराधए गिरोह संवेदनशील स्थल एवं अपराध संभावित क्षेत्र की प्रोफाईल तैयार करें। अपराध नियंत्रण के लिये सभी लंबित वारंटों को तुरंत अमल में लाने, कुर्की के मामले निष्पादित करने, सीसी, करने का निदेश दिया गया है।
सरकारी वकीलों के साथ प्रत्येक माह लंबित क्रिमनल वादों की समीक्षा करने तथा महत्वपूर्ण संवदेनशील और जघन्य अपराध के वादों को फास्ट ट्रैक स्पीडी ट्रायल कराने का निदेश दिया गया है। मुख्य सचिव तथा पुलिस महानिदेशक ने जेल प्रशासन को भी निदेशित करते हुए कहा कि जेलों में नियमित अंतराल पर छापेमारी सुनिश्चित हो। अपराधियों का ई-प्रोडक्शन, ई-ट्रायल तथा ई. मुलाकात को पूर्णत: लागू करें। सभी कुख्यात अपराधी को अन्यत्र जेल में स्थानांतरित किया जाय। जेल में अपराधी यह महसूस करें कि अपराध करना गलत है और उससे पश्चाताप हो-वह भविष्य में सुधर कर बेहतर नागरिक जीवन जी सके।
आरोपी बंदी को भी न्याय मिलने तक आत्मानुभूति और संयमित जीवन की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा मिले। मुख्य सचिव श्रीमती राजबाला वर्मा ने इन्टेलीजेंस सूचना को अपराध नियंत्रण में कारगर बताते हुए कहा कि चैकीदारए विशेष शाखा के पदाधिकारी एवं अन्य माध्यमों को सजग और सक्रिय रखते हुए प्राप्त सूचना को गंभीरता से लेने का निदेश दिया। साथ ही डीजीपी ने कहा कि दैनिक गश्ती, सभी लॉज, होटल की नियमित चेकिंग तथा जुआ और शराब के अवैध अड्डे पर लगातार छापेमारी कर अपराध करने वालों के प्रति सख्ती से पेश आयें। मुख्य सचिव तथा डीजीपी ने सभी उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को निदेशित किया कि वे ठोस सामाजिक संपर्क कायम करें।
स्थानीय मानकी, मुंडा, मांझी, मुखिया के साथ क्षेत्र के लोगों, मोहल्ला समिति आदि को सक्रिय कर उनकी भागीदारी बढ़ायें। इससे भी अपराध नियंत्रण कारगर होगा और आम जनता में विश्वास बढ़ेगा। जारी किये गये दिशा निर्देशों में अपराध को तीन श्रेणियों में बांटा गया है. पहला आर्थिक अपराध, जिसके अन्तर्गत भूमि कारोबार, अवैध शराब, अवैध खनन, अवैध बालू एवं कोयला व्यापार, चिटफंड आदि रखे गए हैं। दूसरी श्रेणी में सामाजिक अपराध हैं जिसके अन्तर्गत डायन प्रथा, बच्चों की दलाली कर अन्यत्र भेजा जाना, अवैध संस्थाओं और गांव के बिचैलियों को चिन्ह्ति करना तथा तीसरी श्रेणी में साम्प्रादायिक घटनाओं को रखा गया है।