रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि उनकी सरकार राज्य में आधारभूत संरचना सुधारने पर खासा जोर दे रही है। पश्चिम सिंहभूम जिले के आनंदपुर प्रखंड के कुरुख में सरना जागरण मंच की ओर से आयोजित करम महोत्सव कार्यक्रम में दास ने कहा कि हम कृषि, सिंचाई, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और सड़क जैसे क्षेत्रों में आधारभूत संरचना सुधारने के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में कई काम किए गए हैं और विकास के काम भविष्य में भी जारी रहेंगे। एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने कहा कि खनिज संपन्न पश्चिम सिंहभूम के मनोहरपुर प्रखंड और चतरा जिले में एक-एक इस्पात संयंत्र स्थापित किया जाएगा।
सरना और सनातन एक-दूसरे के पूरक हैं और एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। जब से संस्कृति है तब से सरना और सनातन की परम्परायें हैं। पूजा पाठ से उपर संस्कार और जीवन शैली के शाश्वत प्रवाह का पर्याय हैं। मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पश्चिमी सिंहभूम के आनंदपुर प्रखंड में कुडुख सरना जागरण मंच द्वारा आयोजित करम पूर्व संध्या महोत्सव में जनजातीय समुदाय को संबोधित करते हुये यह बात कही। उन्होंने कहा कि हम सब को यह ध्यान रखने की जरूरत है कि पूर्वजों से प्राप्त संस्कृति और परंपरा पर कोई हमला या षडयंत्र ना हो।
युवावर्ग को इससे ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी और जनजाति समाज का इतिहास आदिकाल से है। इस समाज के लोग प्रकृति की पूजा प्राचीनकाल से करते आ रहें हैं। करम पर्व प्रकृति का संरक्षण और अपने जीवन में अच्छे कर्म करने का संदेह देता है ताकि अच्छे कर्म कर हम अपने जीवन को सुखमय बना सकें। यह देश और राज्य के लिये भी सुखद साबित होगा। श्री दास ने कहा कि झारखण्ड बिरसा मुंडा और कार्तिक उरांव की धरती है।
भगवान बिरसा मुंडा ने चाईबासा की धरती से ही अपनी संस्कृति और परंपरा के संरक्षण व संवर्धन हेतु उलगुलान किया था। यह हम सभी की जिम्मेवारी और नैतिक कर्तव्य है कि बिरसा आबा के आदर्शों का अनुपालन करें। श्री दास ने बताया कि आगामी बजट में सभी जनजाति क्षेत्र में अखड़ा निर्माण हेतु प्रावधान किया जायेगा जहां समाज के लोग पर्व त्योहार के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम और धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन कर सकें। इस अवसर पर सांसद लक्ष्मण गिलुवा ने कहा कि कुडुख हो आदिवासी समाज के लोग प्रकृति की पूजा करते हैं।
हमारी भाषा और संस्कृति ही हमारी पहचान है। इसे बचा कर रखने की जिम्मेवारी समाज के सभी लोगों की है इसके प्रति हमें गंभीर होने की आवश्यकता है। केंद्र और राज्य सरकार की आदिवासी समाज के उत्थान हेतु कई योजनाएं हैं। महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम के जरिए गुडग़ांव, गुरैत, बेड़ाकुंदेदा गांव की टीम द्वारा पारंपरिक करम नृत्य और गान की प्रस्तुति दी गई। पारंपरिक वेशभूषा और वाद यंत्रों से सुसज्जित महिला और पुरुष लोक कलाकारों ने इसमें भाग लिया।