पुड्डुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी ने गंदगी फैलाने वालों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा है कि यदि गांवों में खुले में शौच की गई अथवा कचरा फेंका तो उस क्षेत्र में मुफ्त में चावल वितरण नहीं किया जायेगा। भारतीय पुलिस सेवा की पहली महिला अधिकारी रहीं किरण बेदी ने कहा कि चावल का मुफ्त में वितरण शर्तों के साथ होगा।
उन्होंने कहा कि जो गांव खुले में शौच से मुक्त हो गए हैं और वहां खुले में कचरा और प्लास्टिक नहीं फेंका जा रहा है, उन क्षेत्रों में स्थानीय विधायक और आपूर्ति विभाग के आयुक्त के प्रमाण पत्र के बाद ही मुफ्त में चावल का वितरण किया जायेगा। पुड्डुचेरी में यह नया आदेश जून माह से लागू किया जायेगा। उपराज्यपाल ने संबंधित अधिकारियों और गांववालों को चार सप्ताह का समय दिया है जिससे वे अपने इर्द-गिर्द की जगहों को साफ- सुथरा कर लें।
उन्होंने ट्विटर के जरिये भी इसकी जानकारी दी है। उपराज्यपाल ने एक बयान कहा है, ‘ तब तक मुफ्त में चावल का वितरण का कार्य रोक दिया जाये और उसे सुरक्षित रखा जाए। चावल को उन गांवों के लोगों को वितरित किया जाए जिसे स्वच्छता का प्रमाण पत्र मिला हो। गांवों के स्वच्छता प्रमाणन की दो बार जांच कराई जाए। सभी विधानसभा क्षेत्रों को चार सप्ताह का समय दिया जा रहा है जिससे वे अपने क्षेत्रों में सफाई करा सकें। यह समय सीमा 31 मई को खत्म हो जायेगी।’
ग्रामीण स्वच्छता की धीमी गति से निराशा व्यक्त करते हुए उपराज्यपाल ने कहा, ‘ मैं ग्रामीण स्वच्छता की धीमी चाल से निराश हूं। गत दो वर्षों में मैंने स्थानीय प्रतिनिधियों और संबंधित अधिकारियों को ग्रामीण पुड्डुचेरी को एक समय सीमा के भीतर साफ करने के प्रति प्रतिबद्ध नहीं देखा। मुझे क्षमा करें, यह नहीं चल सकता है।’
उन्होंने कहा कि टीम राजनिवास ने पिछले दो वर्षों के दौरान 155 सुबह सप्ताहांत दौरे किए और इस दौरान जिस तरह के प्रयास और ऊर्जा खर्च की गई उसकी तुलना में वांछित परिणाम सामने नहीं आये। ग्रामीण क्षेत्रों के दौरे में हमने पाया कि समुदाय नेता लोगों के मार्फत अपनी विभिन्न समस्याओं को सामने रखते हैं, लेकिन मैंने यह नहीं देखा कि किसी ने ग्रामीणों को गांवों की सफाई करने के लिए प्रेरित किया हो। गंदगी की वजह से पानी दूषित होने के कारण कई तरह की बीमारियां पनपती हैं।
उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात को लेकर आशान्वित हूं की संबंधित जन अधिकारियों समेत समुदाय नेता इस दिशा में नेतृत्व संभालेंगे। मैं नाबार्ड से भी अपील करती हूं कि उन्हीं स्वयंसेवी संगठनों को सहायता दी जाये जो अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों में कचरा प्रबंधन को शामिल करें।
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