बेंगलुरू : कर्नाटक के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने लिंगायत और वीरशैव लिंगायत को धार्मिक अल्पसंख्यक के तौर पर अधिसूचित किया है लेकिन कहा है कि मुद्दे पर राज्य सरकार की सिफारिशों को केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद ही यह प्रभावी होगा ।
अपनी अधिसूचना में अल्पसंख्यक, हज और वक्फ विभाग ने कहा है कि उसने आरक्षण सहित कर्नाटक के अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों और हितों को प्रभावित किये बिना लिंगायत और वीरशैव लिंगायत को अल्पसंख्यक के तौर पर मान्यता दी है । यह अधिसूचना 22 मार्च की है। इसे केंद्र पर दबाव बनाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
वहीं लिंगायत समुदाय को देखते हुए राज्य के कोडवा समुदाय ने अलग धर्म और अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर पीएम को चिट्ठी लिखी है। समुदाय ने अपनी मांगो को सही ठहराते हुए लिखा, ‘हम प्रकृति के पुजारी हैं और हिंदू धर्म के कई रिवाजों का पालन नहीं करते। हमारी किसी भी रस्म में ब्राह्मण पुजारी को शामिल नहीं किया जाता है और हमारे सभी शास्त्र हमारी अपनी भाषा में है। हमारी वेशभूषा भी अलग है और हमारा प्रमुख आहार पोर्क (मांसाहारी) है।’
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