देश में ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी के मुद्दे पर केरल विधानसभा में मंगलवार को माकपा नीत सत्तारूढ़ दलों और कांग्रेस नीत विपक्ष के बीच जुबानी जंग देखने को मिली। इसके साथ ही विपक्ष ने मूल्य वृद्धि को ‘राज्य प्रायोजित कर आतंकवाद’ करार दिया और सदन से बहिर्गमन किया।
हालांकि वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार ने कहा कि ईंधन की कीमतों में वृद्धि केंद्र सरकार कर रही है न कि राज्य सरकार। विपक्षी गठबंधन संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) के सदस्यों ने ईंधन पर लगने वाले अतिरिक्त कर को माफ करने की मांग की, ताकि आम लोगों को राहत मिल सके।
विपक्ष की मांग खारिज करते हुए वित्त मंत्री के एन बालगोपाल ने कहा कि कोविड की स्थिति के कारण केरल को मिलने वाले कर और गैर-कर राजस्व की हानि हुई है और वर्तमान कानून की वजह से ऋण लेने की राज्य की स्वतंत्रता भी सीमित हुई है। बालगोपाल ने कहा, “कोविड-19 के कारण यह तय है कि खर्च करने के लिए और ज्यादा पैसा चाहिए होगा।
ऐसी परिस्थिति में (ईंधन पर) राज्य कर में कटौती करने से संकट और बढ़ेगा।” मंत्री ने कहा कि कम समय में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भारी वृद्धि करने की केंद्र की नीति में बदलाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर नियंत्रण रखना राज्य सरकार के हाथ में नहीं है।
उन्होंने कहा कि केंद्र में तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) और मौजूदा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकारों ने ईंधन के मूल्य को बाजार के हवाले छोड़ दिया। वित्त मंत्री की दलीलों को खारिज करते हुए कांग्रेस के शफी परम्बिल ने कहा कि तेल की कीमतें बढ़ने का कारण केवल यह नहीं है कि कंपनियों को दाम तय करने की छूट दी गई है, बल्कि राज्य और केंद्र सरकार दोनों मिलकर ‘कर आतंकवाद’ कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि ईंधन के मूल्य में वृद्धि के लिए कंपनियां नहीं, बल्कि सरकार जिम्मेदार है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वी डी सतीशन ने परम्बिल के बयान का समर्थन किया और कहा कि ईंधन में मूल्य वृद्धि कुछ और नहीं, बल्कि ‘कर आतंकवाद’ है।