इंदौर में कांग्रेस नेता जीतू पटवारी के भाई भरत पटवारी और अन्य पर ज़मीन कब्जे का मामला दर्ज हुआ है। 74 वर्षीय नरेंद्र मेहता ने आरोप लगाया कि उनकी छह एकड़ ज़मीन पर जबरन कब्जा कर कॉलोनी विकसित की जा रही है। पुलिस ने कई धाराओं में मामला दर्ज किया है, जिससे मामला राजनीतिक रूप से संवेदनशील बन गया है।
इंदौर के तेजाजी नगर थाने में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के भाई भरत पटवारी, नाना पटवारी और जिला कांग्रेस अध्यक्ष सदाशिव यादव के खिलाफ गंभीर धाराओं में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई 74 वर्षीय नरेंद्र मेहता की शिकायत पर की गई है, जिन्होंने आरोप लगाया है कि इन नेताओं ने उनकी साढ़े छह एकड़ ज़मीन पर जबरन कब्जा कर लिया है। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318(4), 336, 337, 338, 339 और 340 के तहत मामला दर्ज किया है। नरेंद्र मेहता का आरोप है कि उन्हें धमकाकर ज़मीन से निकाला गया और अब वहां कॉलोनी विकसित की जा रही है, जिसका प्रचार सोशल मीडिया पर भी शुरू हो चुका है। यह मामला न केवल जमीन विवाद का है, बल्कि इसमें राजनीतिक हस्तियों की कथित संलिप्तता ने इसे और भी संवेदनशील बना दिया है।
जबरिया कब्जे और धमकी का आरोप
शिकायतकर्ता नरेंद्र मेहता ने बताया कि 29 मार्च 2025 को सदाशिव यादव करीब 15-20 लोगों के साथ ग्राम उमरी खेड़ी स्थित ज़मीन पर पहुंचे और धमकाकर उन्हें वहां से निकाल दिया। जमीन के सर्वे नंबर 1, 2, 3 और 4 कुल मिलाकर 6.5 एकड़ की है, जिस पर अब कथित रूप से अवैध कॉलोनी बनाई जा रही है। उन्होंने कहा कि इस पूरी प्रक्रिया के दौरान उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई और अब कॉलोनी के प्लॉट्स की बिक्री का प्रचार सोशल मीडिया पर हो रहा है।
ज़मीन का इतिहास: होलकर रियासत से लेकर नवरतनमल जैन तक
मेहता ने बताया कि यह ज़मीन वर्ष 1939 में होलकर रियासत द्वारा नारायण पलसीकर को इनाम स्वरूप दी गई थी। बाद में 1950 में उनके पिता नवरतनमल जैन ने इसे खरीद लिया और तभी से इस पर उनका वैध स्वामित्व है। राजस्व संहिता के तहत यह भूमि उनके पिता के नाम दर्ज है और तब से आज तक परिवार उसका उपयोग करता रहा है।
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फर्जी दस्तावेज़ और राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर का आरोप
मेहता का आरोप है कि आरोपियों ने राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर करके फर्जी दस्तावेज़ तैयार करवा लिए हैं। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड में उनके पिता के नाम पर चिपकाकर जबरन सदाशिव यादव का नाम लिखवाया गया है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से यह काम हुआ और अब उन्होंने इसकी शिकायत विभागीय स्तर पर भी कर दी है।