बार-बार बच्चों की गलतियों को लेकर उन्हें डांटना उन्हें निराश कर सकता है.
अगर आप उन्हें बोलने का मौका नहीं देते या उनकी राय को महत्व नहीं देते, तो वे खुद में खोए-खोए से रहने लगते हैं.
दूसरों से तुलना करना भी बच्चों में निराशा पैदा करता है. इसलिए अपने बच्चों की तुलना दोस्तों या रिश्तेदारों से न करें.
अगर आप केवल नेगेटिव बातें करते हैं और उनकी अच्छाइयों की तारीफ नहीं करते, तो बच्चे निराश हो जाते हैं.
बच्चों की भावनाओं को नजरअंदाज करना और उनकी परेशानियों को हल्के में लेना उनके दिल को ठेस पहुंचाता है.
उनकी क्षमता से अधिक की मांग करना या उनसे अत्यधिक उम्मीदें बांध लेना उनके लिए निराशाजनक हो सकता है.
उनकी असफलताओं पर गुस्सा करना या उन्हें बड़ा मुद्दा बनाना उनके दिल में निराशा भर सकता है.
अगर आप बच्चों पर प्यार जताने में कमी करते हैं, तो वे भावनात्मक रूप से असुरक्षित महसूस करने लगते हैं.
इन बातों पर ध्यान देकर आप बच्चों के जीवन में खुशहाली ला सकते हैं और उन्हें आत्मविश्वासी बना सकते हैं.