Sahir Ludhianvi Poetry: “कैसे नादान हैं…” साहिर लुधियानवी के चुनिंदा शेर - Punjab Kesari
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Sahir Ludhianvi Poetry: “कैसे नादान हैं…” साहिर लुधियानवी के चुनिंदा शेर

Sahir Ludhianvi Poetry: मायूसी-ए-मआल-ए-मोहब्बत न पूछिए, अपनों से पेश आए हैं…

मायूसी-ए-मआल-ए-मोहब्बत न पूछिए

अपनों से पेश आए हैं बेगानगी से हम

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उन का ग़म उन का तसव्वुर उन के शिकवे अब कहाँ

अब तो ये बातें भी ऐ दिल हो गईं आई गई

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तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम

ठुकरा न दें जहाँ को कहीं बे-दिली से हम

जुर्म-ए-उल्फ़त पे हमें लोग सज़ा देते हैं

कैसे नादान हैं शो’लों को हवा देते हैं

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इस तरह निगाहें मत फेरो, ऐसा न हो धड़कन रुक जाए

सीने में कोई पत्थर तो नहीं एहसास का मारा, दिल ही तो है

कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त

सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया

बे पिए ही शराब से नफ़रत

ये जहालत नहीं तो फिर क्या है

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यूँही दिल ने चाहा था रोना-रुलाना

तिरी याद तो बन गई इक बहाना

साँसों में घुल रही है किसी साँस की महक
दामन को छू रहा है कोई हाथ क्या करें

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