ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई मांगे
जुबां तो खोल, नजर तो मिला, जवाब तो दे
मैं कितनी बार लुटा हूं, हिसाब तो दे
आंख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
Hasrat Mohani Poetry: शायरी के जादुगर हसरत मोहानी के खजाने से 8 खुबसूरत शेर
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं
अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए
कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए
कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूंगा उसे
जहां जहां से वो टूटा है जोड़ दूंगा उसे
मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए
और सब लोग यहीं आ के फिसलते क्यूं हैं
इन रातों से अपना रिश्ता जाने कैसा रिश्ता है
नींदें कमरों में जागी हैं ख़्वाब छतों पर बिखरे हैं