आँखें जो उठाए तो मोहब्बत का गुमाँ हो
नज़रों को झुकाए तो शिकायत सी लगे है
–जाँ निसार अख़्तर
वक़्त के बदलने से दिल कहाँ बदलते हैं
आप से मोहब्बत थी आप से मोहब्बत है
-नाज़िम नक़वी
माना कि मोहब्बत का छुपाना है मोहब्बत
चुपके से किसी रोज़ जताने के लिए आ
-तालिब बाग़पती
आप पहलू में जो बैठें तो सँभल कर बैठें
दिल-ए-बेताब को आदत है मचल जाने की
-जलील मानिकपूरी
ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूद
महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी कभी
-नासिर काज़मी
अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए
-उबैदुल्लाह अलीम
अंजाम-ए-वफ़ा ये है जिस ने भी मोहब्बत की
मरने की दुआ माँगी जीने की सज़ा पाई
-नुशूर वाहिदी
अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले
दश्त पड़ता है मियाँ इश्क़ में घर से पहले
-इब्न-ए-इंशा
और कुछ ज़ख़्म मिरे दिल के हवाले मिरी जाँ
ये मोहब्बत है मोहब्बत में शिकायत कैसी
-अज़ीज़ नबील