टूटने से इनकी खविश होती पूरी
सही कहते है में सितारा बन गया हूँ !!
रुसवा तो तू भी कर दूं. लेकिन बाकी मुझे अभी भी याद है
पूरा शहर मेरा मुरीद. बस तेरा मोहल्ला मेरे खिलाफ है..
तुम ज़िद करके बैठे हो मेरा नाम नही लोगों
फिर यूं याद करके हिचकियाँ क्यों दे रहे हो !!
कुछ रास्ता लिख देगा, कुछ में लिख दूंगा
तुम लिखते जाओ मुस्किले , में मंज़िल लिख दूंगा !!
दफन है मुझमे कितने गम न पूछो
बुझ बुझ के जो रोशन रहा वो मुनावर हूँ में !!
कहना शायद मुश्किल होगा, मुझहे कितना चाहता हूँ,
तुझे आने वाली हिचकियों के लिए माफी चाहता हूँ!!
फल ही इतने लगे हुए थे इस पेड़ पे
लोगों का पत्थर मरना लाजमी था !!
वो झूठे वादे करते है, मगर मिलने नही आते ,
हम भी कम्बख़त इश्क़ से बाज नही आते !!
वो गुमनामि में जी रहे है खुदकी वफ़ा की
जिन्हें बस मेरी कोई याद मत दिलाना !!