एक मुद्दत से मेरी मां नहीं सोई ‘ताबिश’
मैंने इक बार कहा था मुझे डर लगता है
-अब्बास ताबिश
मुझे मालूम है मां की दुआएं साथ चलती हैं,
सफ़र की मुश्किलों को हाथ मलते मैंने देखा है
-आलोक श्रीवास्तव
वो लम्हा जब मेरे बच्चे ने मां पुकारा मुझे
मैं एक शाख़ से कितना घना दरख़्त हुई
-हुमैरा रहमान
चलती फिरती हुई आंखों से अज़ान देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है मां देखी है
-मुनव्वर राना
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से में मां आई
-मुनव्वर राना
मैं रोया परदेस में भीगा मां का प्यार
दुख ने दुख से बातें की बिन चिट्ठी बिन तार
-निदा फ़ाज़ली
इस तरह मेरे गुनाहों को वो धो देती है
मां बहुत ग़ुस्से में होती है तो रो देती है
-मुनव्वर राना
मुर्ग़े की आवाज़ से खुलती
घर की कुंडी जैसी मां
बेसन की सोंधी रोटी पर
खट्टी चटनी जैसी माँ
-निदा फाजली
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