Mirza Ghalib Poetry: मिर्ज़ा ग़ालिब के खजाने से 8 चुनिंदा शेर - Punjab Kesari
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Mirza Ghalib Poetry: मिर्ज़ा ग़ालिब के खजाने से 8 चुनिंदा शेर

Mirza Ghalib Poetry: मिर्ज़ा ग़ालिब के 8 चुनिंदा शेर जो दिल को छू जाएं…

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पर दम निकले,

बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले

हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त,

लेकिन दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है

इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया,

वर्ना हम भी आदमी थे काम के

इश्क़ ने ‘ग़ालिब’ निकम्मा कर दिया,

वर्ना हम भी आदमी थे काम के

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मोहब्बत में नहीं फर्क जीने और मरने का,

उसी को देखकर जीते है जिस ‘काफ़िर’ पे दम निकले

इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’,

कि लगाए न लगे और बुझाए न बने

वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है,

कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं

आईना देख अपना सा मुंह ले के रह गए,

साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था

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