Meer Anees Poetry: “इक फूल का मज़मूँ…” मीर अनीस के टॉप 8 शेर - Punjab Kesari
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Meer Anees Poetry: “इक फूल का मज़मूँ…” मीर अनीस के टॉप 8 शेर

Meer Anees Poetry: तमाम उम्र इसी एहतियात में गुज़री, कि आशियाँ किसी…

तमाम उम्र इसी एहतियात में गुज़री

कि आशियाँ किसी शाख़-ए-चमन पे बार न हो

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गर्मी से मुज़्तरिब था ज़माना ज़मीन पर

भुन जाता था जो गिरता था दाना ज़मीन पर 

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ख़ाक से है ख़ाक को उल्फ़त तड़पता हूँ ‘अनीस’

कर्बला के वास्ते मैं कर्बला मेरे लिए

करीम जो तुझे देना है बे-तलब दे दे

फ़क़ीर हूँ पर नहीं आदत-ए-सवाल मुझे

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गुल-दस्ता-ए-मअनी को नए ढंग से बाँधूँ

इक फूल का मज़मूँ हो तो सौ रंग से बाँधूँ

मिसाल-ए-माही-ए-बे-आब मौज तड़पा की

हबाब फूट के रोए जो तुम नहा के चले

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आशिक़ को देखते हैं दुपट्टे को तान कर

देते हैं हम को शर्बत-ए-दीदार छान कर

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तमाम उम्र जो की हम से बे-रुख़ी सब ने

कफ़न में हम भी अज़ीज़ों से मुँह छुपा के चले

अश्क-ए-ग़म दीदा-ए-पुर-नम से सँभाले न गए

ये वो बच्चे हैं जो माँ बाप से पाले न गए

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