जब बरसती है तेरी याद की रंगीन फुवार
फूल खिलते हैं दर-ए-मय-कदा वा होता है
याद के चांद दिल में उतरते रहे
चांदनी जगमगाती रही रात भर
आज हो जाने दो हर एक को बद-मस्त-ओ-ख़राब
आज एक एक को पिलवाओ कि कुछ रात कटे
सुनाती फिरती हैं आंखें कहानियां क्या क्या
अब और क्या कहें किस किस को सोगवार करें
एक था शख़्स ज़माना था कि दीवाना बना
एक अफ़्साना था अफ़्साने से अफ़्साना बना
ज़िंदगी मोतियों की ढलकती लड़ी ज़िंदगी रंग-ए-गुल का बयां दोस्तो
गाह रोती हुई गाह हंसती हुई मेरी आंखें हैं अफ़्साना-ख़्वां दोस्तो
शहर में एक क़यामत थी क़यामत न रही
हश्र ख़ामोश हुआ फ़ित्ना-ए-दौरां चुप है
ये कोह क्या है ये दश्त-ए-अलम-फ़ज़ा क्या है
जो इक तेरी निगह-ए-दिल-नवाज़ साथ रहे