बताऊँ क्या तुझे ऐ हम-नशीं किस से मोहब्बत है
मैं जिस दुनिया में रहता हूँ वो इस दुनिया की औरत है
दफ़्न कर सकता हूँ सीने में तुम्हारे राज़ को
और तुम चाहो तो अफ़्साना बना सकता हूँ मैं
ये महताब नहीं है कि आफ़ताब नहीं
सभी हैं हुस्न मगर इश्क़ का जवाब नहीं
ख़ुद दिल में रहके आंख से पर्दा करे कोई
हां लुत्फ जब है पा के ढूंढा करे कोई
हमेशा ख़ून पीकर हड्डियों के रथ में चलती है
ज़माना चीख़ उठता है ये जब पहलू बदलती है
नूर ही नूर है किस सम्त उठाऊं आंखें
हुस्न ही हुस्न है ता हद्दे नजर आज की रात
क्या-क्या हुआ है हमसे जुनूं में न पूछिए
उलझे कभी ज़मीं से, कभी आसमां से हम
तुम्हीं तो हो जिसे कहती है नाख़ुदा दुनिया
बचा सको तो बचा लो कि डूबता हूँ मैं
Jigar Moradabadi Poetry: जिगर मुरादाबादी के पिटारे से 8 चुनिंदा शेर