Kaifi Azmi Poetry: कैफ़ी आज़मी के पिटारे से 8 मशहूर शेर - Punjab Kesari
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Kaifi Azmi Poetry: कैफ़ी आज़मी के पिटारे से 8 मशहूर शेर

Kaifi Azmi Poetry: कैफ़ी आज़मी के दिल की गहराइयों से निकली आवाज़ें

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जो वो मिरे न रहे मैं भी कब किसी का रहा
बिछड़ के उनसे सलीक़ा न ज़िन्दगी का रहा

इन्साँ की ख़्वाहिशों की कोई इन्तिहा नहीं
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए, दो गज़ कफ़न के बाद

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मेरा बचपन भी साथ ले आया
गाँव से जब भी आ गया कोई

पाया भी उनको खो भी दिया चुप भी हो रहे
इक मुख़्तसर सी रात में सदियां गुज़र गईं

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जो इक ख़ुदा नहीं मिलत तो इतना मातम क्यों
मुझे ख़ुद अपने क़दम का निशाँ नहीं मिलता

आज फिर टूटेंगी तेरे घर नाज़ुक खिड़कियां
आज फिर देखा गया दीवाना तेरे शहर में

दिल की नाज़ुक रगें टूटती हैं
याद इतना भी कोई न आए

pexels marta dzedyshko 1042863 2377470

ख़ार-ओ-ख़स तो उठें, रास्ता तो चले
मैं अगर थक गया, क़ाफ़िला तो चले

punjabkesari2F2025 01 212F2lsmccdl2FBabyBoy6Baby Boy Names: घर आए नन्हे मेहमान के लिए ‘र’ अक्षर के नाम

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