Jaun Elia Poetries: “तुम मेरा नाम क्यों नहीं लेते…” पढ़िए जॉन एलिया कि लाजवाब शायरियां - Punjab Kesari
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Jaun Elia Poetries: “तुम मेरा नाम क्यों नहीं लेते…” पढ़िए जॉन एलिया कि लाजवाब शायरियां

Jaun Elia Poetries: ज़ब्त कर के हँसी को भूल गया, मैं तो उस ज़ख़्म ही को भूल गया…

 कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई,
तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया

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सब दलीलें तो मुझ को याद रहीं,
बहस क्या थी उसी को भूल गया 

उन से वादा तो कर लिया लेकिन,
अपनी कम-फ़ुर्सती को भूल गया

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इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है,

ख़ुद को भूला हूँ उस को भूला हूँ,
उम्र भर की यही कमाई है

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इक अजब हाल है कि अब उस को
याद करना भी बेवफ़ाई है,

ख़ुद को भूला हूँ उस को भूला हूँ,
उम्र भर की यही कमाई है

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ज़ब्त कर के हँसी को भूल गया,
मैं तो उस ज़ख़्म ही को भूल गया 

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काम की बात मैं ने की ही नहीं
ये मेरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं,

कौन से शौक़ किस हवस का नहीं
दिल मेरी जान तेरे बस का नहीं

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निघरे क्या हुए कि लोगों पर अपना साया भी अब तो भारी है,

बिन तुम्हारे कभी नहीं आई क्या मिरी नींद भी तुम्हारी है

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बहुत दिल को कुशादा कर लिया क्या,

जमाने भर से वादा कर लिया क्या,

बहुत नज़दीक आती जा रही हो,

बिछड़ने का इरादा कर लिया क्या

शर्म, देहशत, परेशानी, नाज़ से कम क्यों नहीं लेते,

आप, वो, जी, मगर, ये सब क्या है? तुम मेरा नाम क्यों नहीं लेते

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