हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा
आंखों से आंसुओं के मरासिम पुराने हैं
मेहमां ये घर में आएं तो चुभता नहीं धुआं
फूलों की दुकानें खोलो, खुशबू का व्यापार करो
इश्क़ खता है तो, ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो
Firaq Gorakhpuri Poetry: फ़िराक़ गोरखपुरी के नगमों से 8 दिल छू लेने वाले शेर
ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहां
मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया
शौहरत की बुलन्दी भी पल भर का तमाशा है
जिस डाल पर बैठे हो, वो टूट भी सकती है
ज़मीं सा दूसरा कोई सख़ी कहां होगा
ज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं
अभी न छेड़ मोहब्बत के गीत ऐ मुतरिब
अभी हयात का माहौल ख़ुश-गवार नहीं
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